भारत में अभी भी सेक्स के बारे में खुलेआम बात करना अभी भी शर्मनाक माना जाता हैं। भारत में सेक्स एजुकेशन एक बड़ा मुद्दा बनता जा रहा हैं। जनता का एक धडा इसके पक्ष में है तो एक पक्ष इसके विरोध में। जिसके चलते सेक्स एजुकेशन सही रूप से नहीं दी जा पा रही हैं। सेक्स एजुकेशन की कमी के कारण बच्चों में सेक्स के बारे में जानकारी नहीं होती हैं जो कि आने वाले बुरे संकेतों की ओर ध्यान देती हैं। इसलिए अगर विद्यालयों में सेक्स एजुकेशन नहीं जाये तो माता-पिता को घर पर ही अपने बच्चों को सेक्स के बारे में बताना चाहिए और सही जानकारी बतानी चाहिए। सेक्स एजुकेशन बहुत जरूरी हैं लेकिन क्यों और कैसे दे आइये हम बताते हैं।
* बच्चों को घर पर ही सेक्स से संबधित विषयों पर संतुलित तरीके से बताना चाहिए नहीं तो वह बाहर आधी अधूरी जानकारी लेंगे और मिस गाइड होंगे। यही कारण है कि माता-पिता बच्चों को सेक्स के विषय में उचित ज्ञान दें ताकि बच्चे यौन शिक्षा के बारे में अधकचरी जानकारी ना लें सकें।
* आज कल के माहौल को देखते हुए माता-पिता को सलाह दी जाती है कि वह बच्चों को सेक्स से संबंधित प्रश्नों का संतुलित तरीके से जवाब दें। नहीं तो कोई उन्हें मिस गाइड भी कर सकता है।
* ऐसे प्रश्न पूछने पर बच्चों को डांटे नही बल्कि उन्हें विश्वास दिलाये कि इस विषय पर कोई भी जानकारी उसे उसके माता-पिता से मिल सकती है और इसके लिये उसे कहीं और जाने की जरूरत नही। माता-पिता को ध्यान रखना चाहिये कि स्मार्ट फोन के साथ बड़े हो रहे उनके ये बच्चे कभी अपने प्रश्नों का जवाब ढूंढने के लिये इंटरनेट का सहारा न ले और गलत आदतों का शिकार न हो जायें।
* सेक्स एजुकेशन सिर्फ शारीरिक संबंधों से जुड़े ज्ञान को प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये एक विस्तृत विषय है जो महिला-पुरुष की शारीरिक संरचना के साथ-साथ इस बात से जुड़ी है कि संभोग के बाद गर्भधारण किन हालातों और परिस्थितियों की वजह से होते हैं। सेक्स एजुकेशन के अंतर्गत, गर्भावस्था, एचाआईवी जैसी घातक बीमारियां और सुरक्षित संभोग के विषय में भी समझाया जाता है।
* जब आप अपने बच्चे से सेक्स के विषय में बात कर रहीं हैं तो ऐसे में आप इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें किसी भी तरह की शर्मिंदगी महसूस ना हो। जब आप अपने बच्चे से सेक्स से संबंधित बातें करती हैं तो ऐेसे में इस बात को जान लें कि आप जो भी कहना चाहती हैं उन्हें सीधे-सीधे कहें, नहीं तो, उन्हें भी ऐसा लगने लगेगा कि आप उनसे घुमा फिराकर बात कर रहीं हैं।
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* उन्हें आप किसी भी तरह का उपदेश देने से बचें। उनसे इस बारे में बताते समय अपने दिमाग को खोल लें और फिर किसी भी तरह का अनुमान ना लगाएं। बच्चों से इस बारे में बात करते समय इस बात का ख्याल रखें कि आप उनकी सुरक्षा के लिए उनसे यह सारी बातें शेयर करें। अपने बच्चों को असुरक्षित संबंध बनाने के दुष्परिणामों के बारे में बताएं। उन्हें आसान तरीकों से गर्भनिरोधक के विभिन्न तरीकों के बारे में भी आप बता सकती हैं।