हम आपको बता दें डर एक इमोशनल प्रतिक्रिया है, जो किसी से डांट पड़ने की वजह से, किसी से धमकी मिलने की वजह से, किसी भयानक चीज को देख लेने की वजह से होती है। यही डर जब एक ऐसे खतरनाक लेबल पर पहुंच जाता है जहां इंसान किसी चीज से इतना डरने लगे कि उस डर को खत्म करने के लिए वह अपनी जान तक से खेल जाए तो उस डर को मेडिकल साइंस में फोबिया कहा जाता है।
कुछ ऐसा होता है फोबिया
जानकारी के लिए बता दें फोबिया भी कई तरह के होते हैं। एक वो जो बचपन में किसी डर के मन में बैठ जाने के कारण होते हैं। इन्हें चाइल्डहुड फोबिया कहते हैं। जो डर वयस्क होने के बाद फोबिया बन जाए उसे एडल्टहुडफोबिया कहते हैं। फोबिया का मरीज यूं तो आम लोगों की ही तरह दिखाई देता है लेकिन अपना डर सामने आने के बाद उसे फोबिया का दौरा पड़ने लगता है। ऐसे में उसमें तनाव, पसीने आना, बेचैनी, सांस तेज होना, चक्कर आना, पेट खराब हो जाना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना आदि लक्षण दिखने लगते हैं।
कुछ ऐसा भी होता है फोबिया
इसी के साथ फोबिया से ग्रसित अलग-अलग तरह के रोगी होते हैं। जैसे जिन्हें अंजान व्यक्ति या समूह के सामने आने से, उनसे बात करने से डर लगता है वो सोशलोफोबिया से ग्रस्त होते हैं। कुत्तों से डरने वाले सियानोफोबिया, इंजेक्शन से डरने वाले ट्राइपानोफोबिया और अंधेरे से डरने वाले नीक्टोफोबिया से ग्रस्त होते हैं। फोबिया के ईलाज के लिए कोई खास ट्रीटमेंट नहीं होता है। हर मरीज का इलाज उसके डर के हिसाब से किया जाता है।