लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए जल्द ही केंद्र सरकार एक और बड़ा राहत पैकेज घोषित कर सकती है। सूत्रों के अनुसार घोषणा लॉकडाउन खत्म होने से पहले ही हो जाएगी। इसमें उद्योगों को विशेष राहत दी जा सकती है। सरकार का ध्यान सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों विमानन, खुदरा व्यापार, पर्यटन, टूर एवं ट्रैवल, होटल उद्योग के अलावा छोटे और मझोले उद्योगों पर है।
उद्योग संगठन सीआईआई और एसोचैम ने उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार से बड़े पैकेज की मांग की है। सीआईआई की मुख्य अर्थशास्त्री विदिशा गांगुली ने बताया, ‘अर्थव्यवस्था को फिर पटरी पर लाने के लिए कम से कम 8 लाख करोड़ रुपये की जरूरत होगी। वहीं, एसोचैम ने 15 से 20 लाख करोड़ के पैकेज की मांग की है। पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी संकेत दिए थे कि सरकार को आरबीआई से करीब 5 लाख करोड़ रुपये तक का कर्ज लेना पड़ सकता है।
पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री कार्यालय ने आर्थिक मामलों के सचिव अतानु चक्रवर्ती की अध्यक्षता में उद्योगों को नुकसान के अलावा बेरोजगार हुए लोगों की स्थिति का अध्ययन करने के लिए नौकरशाहों की एक समिति बनाई है। मोदी सरकार ने पिछले सप्ताह ही गरीबों और समाज के वंचित तबकों के लिये मुफ्त खाद्यान्न और खातों में कैश ट्रांसफर के रूप में 1.7 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज घोषित किया था। लॉकडाउन से पहले सरकार उद्योगों के लिए तीन लाख करोड़ का पैकेज दे चुकी थी, लेकिन लॉकडाउन ने उद्योगों की कमर तोड़ दी है।
पैकेज के लिए सरकार को रिजर्व बैंक से कर्ज लेना पड़ सकता है। इसके लिए उसे वित्तीय घाटा बढ़ाना होगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 के लिए बजट में 3.5 फीसदी घाटे का अनुमान लगाया था, लेकिन आरबीआई से कर्ज लेने के लिए इसे तीन से चार फीसदी और बढ़ाया जा सकता है। हर एक फीसदी घाटा बढ़ाने से सरकार को मिलेंगे सवा दो लाख करोड़ रुपये।
पहले भी बढ़ाया गया वित्तीय घाटा
2008 में लेहमन ब्रदर्स की वजह से आई वैश्विक मंदी से भारत भी प्रभावित हुआ था। तब केंद्र सरकार ने 2007-08 के बजट में वित्तीय घाटा 2.5 फीसदी को 2008-09 के बजट में 3.5 फीसदी बढ़ा कर 6 फीसदी कर दिया था।
उपभोक्ता वस्तुएं बनाने का जिम्मा कॉरपोरेट घरानों को देने का सुझाव
ऐसे सुझाव आए कि मौजूदा हालात में उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन की जिम्मेदारी पांच-छह बड़े कॉरपोरेट घरानों को दी जाए, ताकि मांग बढ़ने पर कमी न हो। इसके लिए किसानों को कॉरपोरेट घरानों से सीधा जोड़ा जाएगा ताकि खाद्य उत्पाद कारखानों तक पहुंचने में आसानी हो।
राज्यों को बाजार से 3.2 लाख करोड़ उधार लेने की इजाजत
वित्त मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों को अप्रैल से दिसंबर के बीच बाजार से 3.2 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की अनुमति दी है। रिजर्व बैंक को लिखे पत्र में मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार ने राज्यों को बाजार से कर्ज लेने की इजाजत देने का फैसला किया है।