देश भर में नागरिकता कानून, एनआरसी और एनपीआर को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी हैं. केंद्र सरकार ने 10 जनवरी 2020 से यह संशोधित कानून लागू कर दिया है. इससे पहले सरकार की ओर से जानकारी दी गई थी कि इस साल में ही एनपीआर का काम शुरू होगा. अब सरकार के ही सूत्रों ने बताया है कि सभी राज्यों ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की फिर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. वहीं केरल और पश्चिम बंगाल ने केंद्र सरकार को एनपीआर पर फिलहाल रोक लगाने के लिए बातचीत की है.
नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया भी 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक चलेगी. पश्चिम बंगाल और केरल ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर न लागू करने की बात राज्य में अधिकारिक स्तर पर कही है और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया को इसकी जानकारी मिली है, बाकी सारे राज्यों ने नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया को नोटिफाई कर दिया है.
मांगी जाएगी ये जानकारी
एनपीआर में कोई बायोमेट्रिक नहीं मांगा जा रहा है कोई सबूत नहीं मांगा जाएगा. एनपीआर में गणना अधिकारी आधार नंबर, मोबाइल नंबर, पैन कार्ड नंबर, डीएल नंबर यदि हाउसहोल्ड के पास है तो मांगेंगे, सिर्फ जानकारी मांगी जाएगी, कागज नहीं मांगे जाएंगे
सेंसस और एनपीआर पहले चरण के फॉर्म में हाउसहोल्ड को ये बताना होगा कि जो जानकारी उन्होंने दी है वो सही होगी.
इस बात पर हो रहा विरोध
गौरतलब है कि सीएए और एनआरसी को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद सरकार की ओर से साफ किया गया था कि फिलहाल वह एनआरसी को लेकर विचार नहीं कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई अपनी रैली में जनता से कहा था कि उनकी सरकार में एनआरसी को लेकर कोई भी विचार नहीं किया जा रहा है.सरकार की ओर से जानकारी दी गई थी कि सरकार इस साल देश भर में जनगणना के साथ एनपीआर की प्रक्रिया भी पूरी करेगी. हालांकि लोगों ने इसका भी विरोध किया क्योंकि ऐसा बताया जा रहा था कि एनपीआर में मिली जानकारी के हिसाब से एनआरसी लागू किया जाएगा. जिसके बाद गृह मंत्री अमित शाह ने यह साफ कर दिया कि सरकार एनआरसी के लिए एनपीआर के डाटा का इस्तेमाल नहीं करेगी.