जब आदित्यनाथ योगी को गिरफ्तार किया गया था– बलात्कार के आरोपी बाबा राम रहीम को पिछले दिनों सजा देने के बाद से जो कुछ हरियाणा की सड़कों पर देखा गया उसकी सब ने निंदा की।अभी-अभी: सीएम योगी सहित पांच नेताओं ने दाखिल किया नामांकन, चारो तरफ गूंजे जय श्रीराम के नारे
सरकार इस मामले में पूरी तरह से फेल हो गई। सवाल ये भी है कि सरकार फेल हुई या जानबूझ कर सरकार ने अपना ढ़ीला रुख रखा। सरकार में बैठे उन लोगों से ये उम्मीद भी कैसे कर सकते हैं जो चुनाव के दौरान वोट लेने के लिए खुद ही ऐसे बाबाओं के आगे नतमस्तक रहती हो।
हरियाणा में जो कुछ हुआ इसके लिए जितना जिम्मेदार बाबा है उतनी ही सरकार।
ऐसा भी नहीं है कि यह पहली बार हुआ। ऐसे उदाहरण कई बार देखने को मिले हैं। बाबा रामपाल को कैसे भूला जा सकता है। इनके आश्रम से हथियारों के जखीरे मिले थे। इसमें कई पुलिसकर्मियों की जान गई थी। कई दिन तक दंगा होने के बाद कहीं जाकर बाबा पर काबू पाया गया था।
बहुत कम लोगों को पता है कि जब आदित्यनाथ योगी को गिरफ्तार किया गया था तब उनके समर्थकों ने भी उत्तर प्रदेश में हंगामा किया था।
यह मामला साल 2008 में हुआ था। जब योगी आदित्यनाथ को गिरफ्तार करने पर यूपी में उनके समर्थकों ने दंगा किया। यह दंगा पूर्वी उत्तर प्रदेश के 6 जिलों में हुआ। इस दंगे का आरोप योगी आदित्यनाथ के संगठन हिंदू युवा वाहिनी पर लगा।
योगी के समर्थकों ने मुम्बई गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कई डिब्बे फूंक दिए। कई जगह दंगे किए गए।
क्या था मामलाः
गोरखपुर दंगे के दौरान एक हिंदू युवा मृत्यु होने पर योगी ने प्रशासन की अनुमति के बिना श्रद्धांजलि सभा आयोजन किया। उनके ऐसा करने पर पुलिस ने उनको हजारों समर्थकों के साथ गिरफ्तार कर लिया। उनपर कई धाराएं लगाने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।
योगी उस दौरान निरड नेता थे। वो किसी भी परिस्थितियों में रुकने वालों में से नहीं है। इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव पर भी सवाल उठने लगे। न तो योगी और नहीं मुलायम सिंह का कुछ बिगड़ा। इतना जरुर हुआ कि योगी की गिरफ्तारी के बाद जिलाधिकारी और पुलिस प्रमुख का तबादला कर दिया गया।
जब आदित्यनाथ योगी को गिरफ्तार किया गया था तब ऐसे ही हालात पैदा हुए थे – आज समर्थकों और अनुयायिओं के दम पर कोई भी कुछ भी करता है। इन सब के जिम्मेदार बाबाओं से ज्यादा हम जैसे आम लोग हैं जो ऐसे बाबाओं पर आंख बंद कर विश्वास कर लेते हैं जिसका खामियाजा हमें अपनी बहु बेटी की इज्जत गवां कर करनी पड़ती है। इतना ही नहीं इन सब के बावजूद हम उन बाबाओं को बचाने में भी लगे रहते हैं। शर्म आनी चाहिए हमें। इस अंधविश्वास में न इज्जत बची न जान।