एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेका अस्पताल, फरीदाबाद के डॉक्टरों ने बल्लभगढ़ निवासी 41 वर्षीय शांति देवी के मस्तिष्क से जब निकली ये हैरान कर देने वाली चीज़ शांति देवी को पिछले कुछ महीनों से सिर में दर्द और शरीर के दाएं भाग में कमजोरी की समस्या हो रही थी, स्थिति यह थी कि वो बिना किसी सहारे के चल ही नहीं पा रही थी।
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उनके परिजनों ने उन्हेें कई अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उन्हें अपनी समस्या का समाधान नहीं मिल सका, फिर वे अपने एक परिचित के कहने पर सेक्टर-२१ए स्थित एशियन अस्पताल में पहुंचे।एशियन अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. कमल वर्मा ने शांति देवी की रिपोर्ट देखी और एमआरआई व सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। जांच की रिपोर्ट में पता चला कि महिला के दिमाग में एक विशाल चौकानें वाली चीज सामने आई है।
यह संरचना मस्तिष्क के बाईं ओर मौजूद थी। डॉक्टर के मुताबिक दिमाग का यह भाग बोलने की शक्ति को कंट्रोल करता है। जांच की रिपोर्ट के आधार पर मरीज के मस्तिष्क की सर्जरी कराने की सलाह दी। लेकिन जब महिला का आपरेशन किया गया तब डॉक्टर भी हैरान रह गए। महिला का ऑपरेशन करने वाली डॉक्टरों को भी नहीं था कि महिला के सिर के अन्दर ऐसा कुछ भी हो सकता है…
बताया जा रहा है शांति देवी को पिछले कुछ महीनों से सिर में दर्द और शरीर के दाएं भाग में कमजोरी की समस्या हो रही थी, स्थिति यह थी कि वो बिना किसी सहारे के चल ही नहीं पा रही थी। उनके परिजनों ने उन्हेें कई अस्पतालों में दिखाया, लेकिन उन्हें अपनी समस्या का समाधान नहीं मिल सका, फिर वे अपने एक परिचित के कहने पर सेक्टर-२१ए स्थित एशियन अस्पताल में पहुंचे।
एशियन अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. कमल वर्मा ने शांति देवी की रिपोर्ट देखी और एमआरआई व सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। जांच की रिपोर्ट में पता चला कि महिला के दिमाग में एक विशाल ट्यूमर है। यह संरचना मस्तिष्क के बाईं ओर मौजूद थी। डॉक्टर के मुताबिक दिमाग का यह भाग बोलने की शक्ति को कंट्रोल करता है। जांच की रिपोर्ट के आधार पर मरीज के मस्तिष्क की सर्जरी कराने की सलाह दी।
एशियन अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. कमल वर्मा और डॉ. मुकेश पांडे ने मरीज के दिमाग की जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक की। 4 घंटे की इस सर्जरी के माध्यम से मस्तिष्क में मौजूद ठोस गांठ को निकाला गया। अगर यह गांठ कुछ और समय तक महिला के दिमाग में विकसित होती तो महिला के बोलने की शक्ति भी खत्म हो सकती थी। इस गांठ का वजन 200 ग्राम और 8*8 सेंटीमीटर और देखने में शतुरमुर्ग के अंडे के आकार का था। यह ट्यूमर जैसी दिखने वाली गांठ एक पैरासाइट के कारण बनती है।
आमतौर पर यह गांठ मुलायम गुब्बारे की तरह होती है, लेकिन इस मरीज के सिर में होने वाली यह गांठ एक कठोर पत्थर की तरह थी। हमारा मकसद बिना तोड़े मस्तिष्क से बाहर निकालना था, ऐसा न करने पर इस गांठ के अंदर मौजूद कीडों का पानी कुछ ही समय में इस तरह के 10-12 नए अंडे विकसित कर सकता है, जो मरीज के लिए खतरनाक साबित हो सकता था।शांति देवी अब पूरी तरह स्वस्थ हैं और ऑपरेशन के अगले ही दिन उन्होंने चलना भी शुरू कर दिया। उन्हें बोलने में भी किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है।
एशियन अस्पताल के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. एनके पांडे का कहना है कि न्यूरासर्जरी विभाग का मिशन मस्तिष्क रोग से संबंधित मरीजों की देखभाल और उनके इलाज को बेहतर करना है। हमारी अत्याधुनिक तकनीकों की गुणवत्ता ने हमारे इलाज की प्रक्रिया को बेहतर बनाया है। हमारा लक्ष्य इस प्रयास में सबसे आगे रहना है और हम अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।
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