याचिकाकर्ता केएम वैशाली ने आरोप लगाया कि 2024 में जारी विज्ञापन और 2025 की परीक्षा में 99% अंक लाने के बावजूद उनका चयन नहीं हुआ, जबकि कम अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को मनमाने ढंग से बोनस अंक देकर चयनित किया गया।
महिला एवं बाल विकास विभाग में महिला पर्यवेक्षकों की नियुक्तियों में अभ्यर्थियों को मनमाने ढंग से बोनस अंक दिए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने नियुक्तियों को याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रखते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
जबलपुर निवासी के एम वैशाली की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि महिला एवं बाल विकास विभाग के साल 2024 में विभिन्न पदों के लिए 800 से अधिक पदों के लिए सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। कर्मचारी चयन बोर्ड के द्वारा 28 फरवरी 2025 को प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसका रिजल्ट 19 जून 2025 को जारी किया गया था। परीक्षा में याचिकाकर्ता को 99 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए थे, इसके बावजूद भी उसका चयन तथा प्रतीक्षा सूची में नाम नहीं था।
याचिका में कहा गया था कि उसे कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का नाम चयन सूची में था। याचिका में आरोप लगाते हुए कहा गया था कि मनमाने ढंग से बोनस अंक प्रदान करते हुए कम अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का चयन किया गया है। याचिका में प्रदेश सरकार, कर्मचारी चयन बोर्ड, संबंधित अधिकारियों तथा चयनित अभ्यार्थियों को अनावेदक बनाया गया था। एकलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, हितेंद्र गोल्हानी, अभिलाषा सिंह लोधी ने पैरवी की।