उरी आतंकी हमले में 18 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में आक्रोश है। सोशलमीडिया के साथ ही टीवी चैनलों की बहस में सरकार को ‘उकसाया’ जा रहा है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ सख्त फैसला ले। जनभावनाओं के सम्मान के बीच मोदी सरकार पाकिस्तान के मोर्चे पर अग्नि परीक्षा के दौर से गुजर रही है। हमले के बाद से जारी हाई लेवल मैराथन बैठकों में माथापच्ची की जा रही है कि आखिर पाकिस्तान का क्या किया जाए? सरकार के पास आर्थिक मोर्चे पर पड़ोसी मुल्क को कमजोर करने जैसे विकल्प भी हैं, लेकिन क्या मोदी सरकार सैन्य कार्रवाई जैसा बड़ा फैसला ले पाएगी?
रक्षा मामलों के जानकार सरकार को सलाह दे रहे हैं कि सैन्य कार्रवाई से जुड़ा कोई भी फैसला करने से पहले एक बार 2001 का ‘ऑपरेशन पराक्रम’ जरूर देख लेना चाहिए। ऐसा न हो कि दांव उल्टा पड़ जाए।
यह था ऑपरेशन पराक्रम
दिसंबर 2001 में संसद आतंकी हमले के बाद सेना का ऑपरेशन पराक्रम शुरू हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के आदेश पर सीमा पर सैना की तैनाती बढ़ाई गई थी। दिसंबर 2001 से जून 2002 तक भारत और पाकिस्तान ने आठ लाख से ज्यादा सैनिक सीमा पर तैनात कर दिए थे।
भारत सरकार को उम्मीद थी कि उसके इस कदम से पाकिस्तान में खौफ का माहौल बनेगा और वहां की सेना आतंकियों का साथ देना बंद कर देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। छह महीन तक दोनों देश में भारी तनाव रहा, फिर जून 2002 में वाजपेयी ने ऑपरेशन रोकने के आदेश दे दिए।
पूरी कवायद में भारत को 3 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ। इतना ही नहीं, तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस द्वारा लोकसभा में बताए अनुसार तब कुल 798 जवान शहीद हुए थे। इन जवानों ने युद्धक सामग्री और सुरंगों से जुड़े हादसों के साथ ही सीमा पार की फायरिंग में जान गंवाई थी। इसके ठीक उल्ट, जब भारत ने करगिल युद्ध लड़ा था, तब 527 जवान शहीद हुए थे। यानी ऑपरेशन पराक्रम में भारत ने बगैर युद्ध लड़े 798 जांबाज खो दिए थे।
मोदी सरकार को दी जा रहीं ऐसी सलाह
ऑपरेशन पराक्रम का हश्र देखते हुए मोदी सरकार को सुझाव दिया जा रहा है कि वह जल्दबाजी में कोई फैसला न करे। एयर वाइस मार्शल कपिल काक (रिटायर) के मुताबिक, नवाज शरीफ सरकार पाकिस्तान के सेना प्रमुख राहिल शरीफ के हाथ की कठपुतली है। अगर भारत सीमा पर सेना की तैनाती करता है तो यह पाकिस्तान के जाल में फंसने जैसा हो जाएगा।
कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को खुफिया ऑपरेशन्स पर ध्यान केंद्रीत करना चाहिए। पाकिस्तान की सीमा में 8-10 किमी अंदर जाकर रातों-रात किसी आतंकी या दुश्मन सेना के कैंप को उड़ाकर लौट आना, एक अच्छी रणनीति रहेगी।