उत्तराखंड की सीमाएं शांत होने पर भी चीन सीमा पर सतर्कता आवश्यक है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि उत्तराखंड के सीमावर्ती गांव देश के सजग प्रहरी हैं। सीमाओं की सुरक्षा सेना और सीमांत गांवों की संयुक्त जिम्मेदारी है। उन्होंने उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास और सीमा रक्षा में इसके योगदान की सराहना की।
उत्तराखंड की सीमाएं भले शांत हैं, लेकिन चीन सीमा को लेकर सतर्क रहना बेहद जरूरी है। उत्तराखंड में चीन के साथ 350 किलोमीटर और नेपाल के साथ 275 किलोमीटर की सीमा है। इससे यह राज्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से संवेदनशील और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनता है।
भारत और चीन के बीच कुछ सीमा क्षेत्रों को लेकर मतभेद हैं और उत्तराखंड के बाड़ाहोती क्षेत्र में भी पूर्व में ऐसी स्थितियां देखने को मिली हैं। इसलिए सीमा की निगरानी और सतर्कता में किसी तरह की ढिलाई नहीं होनी चाहिए।
सीमावर्ती गांवों के लोग देश की सीमा पर सजग प्रहरी
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने ये बातें देहरादून में आयोजित देवभूमि मेगा एक्स सर्विसमैन रैली में कही। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों के लोग देश की सीमा पर सजग प्रहरी की तरह हैं। सीडीएस ने कहा कि सीमाओं की सुरक्षा केवल सेना की ही नहीं, बल्कि सीमांत गांवों की भी साझा जिम्मेदारी है।
उत्तराखंड का गौरवशाली इतिहास रहा- जनरल अनिल चौहान
उत्तराखंड का गौरवशाली इतिहास रहा है, यहां के लोगों ने हमेशा सीमाओं की रक्षा में अपना योगदान दिया है। जनरल चौहान ने कहा कि उन्हें हिंदी फिल्म ‘आंखें’ का गीत ‘उस मुल्क की सरहद को कोई छू नहीं सकता, जिस मुल्क की सरहद की निगहबान हैं आंखें” बेहद प्रिय है, क्योंकि यह हमारे सैनिकों और सीमांत ग्रामीणों की सतर्कता का प्रतीक है।
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