जापान ने शुक्रवार को एक नई राष्ट्रीय सुरक्षा योजना को मंजूरी दी है जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से देश के सबसे बड़े सैन्य कायापलट का संकेत देता है। इसके तहत जापान ने अपने रक्षा खर्च को दोगुना करने कै फैसला किया है। जापान ने क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों से बढ़ते खतरों के बीच ये कदम उठाया है। उसे पड़ोसी मुल्क खासकर चीन के साम्राज्यवादी नीति से अपनी शांतिवादी नीति को खतरा महसूस हो रहा है।
टोक्यो में एक शाम को टेलीविजन पर प्रसारित संबोधन में, जापान के प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने कहा कि सरकार ने अस्थिर सुरक्षा वातावरण के बीच देश की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तीन सुरक्षा दस्तावेजों – राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS), राष्ट्रीय रक्षा रणनीति (NDS) और रक्षा बल विकास (DFD) योजना को मंजूरी दी है।
किशिदा ने कहा कि नए उपायों में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो जापान को “जवाबी पलटवार” करने में सक्षम बनाएंगे और आपात स्थिति एवं विशिष्ट परिस्थितियों में दूसरे देश के क्षेत्र पर सीधे हमला करने की क्षमता भी देंगे। जापान ने इस रणनीति के तहत लंबी दूरी तक मार करने वाले मिसाइलों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है, ताकि वह प्रतिद्वंद्वियों को जवाब दे सके।
सीएनएन के मुताबिक, जापान के रक्षा मंत्री यासुकाज़ु हमादा के अनुसार, प्रधान मंत्री ने दिसंबर के पहले हफ्ते में रक्षा और वित्त मंत्रियों को निर्देश दिया था कि साल 2027 तक जापान का रक्षा बजट वर्तमान जीडीपी का 2% तक बढ़ा दिया जाय। ये निर्णय ऐसे वक्त में लिया गया है, जब टोक्यो दशकों में अपनी सबसे विपरीत सुरक्षा परिस्थितियों का सामना कर रहा है।
जापान चीन को अपना “सबसे बड़ा रणनीतिक चुनौती” बताता रहा है। इस बीच, चीन ने जापान के पास के क्षेत्रों में अपनी नौसेना और वायु सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। चीन सेनकाकू द्वीप समूह पर अपना दावा जताता रहा है जो फिलहाल जापान के कब्जे में है। इधर, चीनी जहाज सेनकाकू द्वीप के पास लगातार आक्रमण कर रहे हैं, जिसे वह डियाओयस कहता है। उधर, जापान अपने हवाई क्षेत्र से रोजाना चीनी युद्धक विमानों को खदेड़ रहा है।