कोविड-19 के बाद भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल रोडमैप’ पर गुरुवार को एक वेबिनार को संबोधित करते हुए, गडकरी ने कोरोना वायरस संकट के कारण होने वाले संकट के मद्देनजर इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर को हर तरह से मदद करने का आश्वासन दिया।
सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि दुनियाभर का व्यापार चीन के बाहर निकलने की संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। गडकरी ने कहा कि भारत को अब चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए। इसके बजाय घरेलू विनिर्माण में तेजी लाने के लिए अनुसंधान और नवाचार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार आयात प्रतिस्थापन के लिए एक नई नीति बनाने पर काम कर रही है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय की गई है, जब लद्दाख में दोनों देशों के बीच सीमा संघर्ष नए चरम पर पहुंच गया है।
सड़क मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, गडकरी ने “विश्वास व्यक्त किया कि अगले पांच वर्षों में, भारत इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक विनिर्माण केंद्र बन जाएगा”, और कहा कि सरकार इस क्षेत्र में “सर्वोत्तम संभव रियायतों” का विस्तार करने की कोशिश कर रही है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी घटाकर 12 फीसदी कर दिया है। गडकरी ने कहा कि उन्हें ईवी सेक्टर के सामने आने वाले मुद्दों की जानकारी थी, लेकिन वे इस बात को लेकर भी आश्वस्त थे कि बिक्री की संख्या बढ़ने के साथ ही चीजें बदल जाएंगी।
वैश्विक बाजार में मौजूदा ट्रेंड पर उन्होंने कहा, “दुनिया की चीन के साथ व्यापार करने में अब कोई दिलचस्पी नहीं है, जो भारतीय उद्योग के लिए व्यापार में बदलाव के लिए एक बहुत अच्छा मौका है।” गडकरी ने कहा कि मुझे लगता है कि यह समय है, जो मैं सीधे आपको बताना चाहता हूं क्योंकि मैं पहले इन शब्दों का उपयोग नहीं कर रहा था। हमें अब चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भले ही मौजूदा समय में चीन के सामानों की कीमतें आकर्षक हैं और भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियां कुछ हिस्सों का आयात करके अच्छा मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन देश में स्थानीय स्तर पर हर चीज का उत्पादन करना चाहिए। गडकरी ने कहा कि इसके बिना, हमारे पास अच्छा भविष्य नहीं है।
अन्यथा कहीं न कहीं चीन की कंपनियां शुरुआत में उचित रियायती दर दे सकते हैं और जब आपका उद्योग अच्छा उत्पादन हासिक करेगा तो वे ज्यादा शुल्क लेंगे। गडकरी ने कहा, इससे फिर से एक समस्या होगी। इसलिए इस उद्योग के लिए हर चीज पर आत्मनिर्भरता सफलता की कुंजी है।
दूरसंचार विभाग ने निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों से चीनी उपकरणों पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए कहा है। भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के 4जी उन्नयन में किसी भी चीनी उपकरण का इस्तेमाल नहीं करने का निर्णय लिया है और बीएसएनएल को इससे अवगत करा दिया जाएगा।
महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड को भी इसी तरह का संदेश दिया जा सकता है। भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसी निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियां सीओएआई की सदस्य हैं।