एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के मुताबिक चीन के एक फैसले ने इस वायरस को लाखों लोगों में फैलने से रोक दिया। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी तारीफ भी हो रही है। अध्ययन के मुताबिक चीन ने कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित वुहान शहर को पूरी तरह से बंद करने और राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया था।
इस वजह से यह वायरस अन्य क्षेत्रों में तीन दिन की देरी से पहुंचा और शहर के बाहर फरवरी के मध्य तक 7.44 लाख लोगों को इस वायरस की चपेट में आने से बचा लिया गया।
वुहान में आने-जाने पर रोक लगाने से ही चीन में 2 लाख 2 हजार मामलों में कमी आई। चीन के एक इस फैसले से प्रशासन को इस खतरनाक वायरस से लड़ने के लिए समय मिल गया। चीन, अमेरिका और ब्रिटेन के 15 संस्थानों के 22 वैज्ञानिकों ने मिलकर यह अध्ययन किया है। यह स्टडी स्वास्थ्य विज्ञान के सर्वर ‘मेडरिक्सिव’ में दर्ज है, लेकिन अभी यह प्रकाशित नहीं हुई है।
चीन ने कोरोना वायरस के फैलने के साथ ही तुरंत कड़े कदम उठाए और अपने हुबेई प्रांत और उसकी राजधानी वुहान को पूरी तरह से बंद कर दिया। 23 जनवरी से यहां के 5 करोड़ लोग अपने घरों में कैद हो गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस कदम को सराहा गया।
कोरोना वायरस का पहला मामला पिछले साल 17 नवंबर को सामने आया था। हालांकि इसके बाद वुहान के डॉक्टरों को नए तरह के वायरस का आभास हो गया था। सबसे पहले इसे लेकर चेताने वाले 29 वर्षीय डॉक्टर ली वेनलियांग की आवाज को दबा दिया गया। बाद में उनकी खुद कोरोना वायरस से मौत हो गई।
चीन में शनिवार को कोरोना वायरस से 13 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद इस देश में मरने वालों की संख्या बढ़कर 3189 तक पहुंच चुकी है। हालांकि वुहान में अब मौत के मामले धीरे—धीरे कम होते जा रहे हैं। शुक्रवार तक यहां 80,824 लोग कोरोना से संक्रमित थे।
अध्ययन में 19 दिसंबर से 19 फरवरी के बीच 50 दिनों तक वायरस के प्रभाव का अध्ययन किया गया। वुहान 23 जनवरी से अभी तक पूरी तरह से बंद है। हालांकि एक अनुमान के मुताबिक वुहान से 43 लाख लोगों को बाहर निकाला गया। इनमें कई भारतीय छात्र भी शामिल थे।