ऋषिगंगा जल प्रलय के दसवें दिन मंगलवार को तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग से दो और शव मिले हैं। अब कुल मृतकों की संख्या 58 हो गई है। वहीं लापता 206 लोगों में से अभी भी 146 लापता है। सुरंग से अब तक 11 शव निकाले जा चुके हैं। वहीं परियोजना के बैराज की ओर मलबा जमा है जिसमें शवों के दबे होने की आशंका है।
ऋषिगंगा जल प्रलय के दसवें दिन मंगलवार को तपोवन जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में मलबा हटाने का कार्य जारी है। परियोजना के बैराज की ओर मलबा जमा है जिसमें शवों के दबे होने की आशंका है। उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि ग्लेशियरों पर नजर रखने के लिए अलग विभाग बनाया जाएगा।
उत्तराखंड के सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना की सभी एंगलों से जांच की जानी चाहिए। इसके लिए हम एक विभाग बनाएंगे। ताकी उपग्रह से ग्लशियरों पर नजर रखी जा सके।
जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि सुरंग से मलबा हटाने का कार्य जारी है। मलबे में मिल रहे शवों का मौके पर ही पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंपा जा रहा है। जिनके परिजन समय पर शवों को लेने के लिए नहीं पहुंचे तो ऐसे शवों के डीएनए सुरक्षित रखे जा रहे हैं।
रैंणी व तपोवन क्षेत्र में आई जल प्रलय की कहानी अलकनंदा नदी बयां कर रही है। नदी का मटमैला पानी को देखकर नौ दिन पहले हुई बर्बादी की तस्वीर साफ झलक रही है। नदी के चारों तरफ मलबे और लकड़ियों के ढेर लगे हैं। नदी में मछलियों के मरने की दुर्गंध अभी भी फैल रही है। नदी किनारे मलबे में आपदा के दौरान बहे लोगों को खोजने में जवान दिखाई दे रहे हैं। साथ ही ऋषिगंगा घाटी क्षेत्र के गांवों में भी सन्नाटा पसरा है।
बता दें कि विगत सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने से उत्तराखंड के चमोली जिले में आपदा आ गई थी। आपदा में कुल 206 लोग लापता हुए थे। वहीं ऋषिगंगा परियोजना पूरी तरह ध्वस्त हो गई है।