भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक चंद्र अभियान ‘चंद्रयान-2’ के लापता लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क साधने में लगे हुए हैं। लेकिन, अब इसकी संभावनाएं कम हैं, क्योंकि चांद पर रात होने वाली है।
चंद्रमा पर रात होने से पहले विक्रम लैंडर की एक झलक पाने और उससे संपर्क स्थापित होने की खबर के लिए भारतीय बेताब हैं, मगर इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कहा कि हो सकता है कि ऑर्टिबर के कैमरे के पहुंच से बाहर हो विक्रम लैंडर।
10 साल से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे नासा के लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर (LRO) को मंगलवार को विक्रम लैंडर के लैंडिंग साइट के ऊपर से गुजारा गया। नासा के ग्रह विज्ञान विभाग, सार्वजनिक मामलों के अधिकारी जोशुआ ए हैंडाल ने एक ईमेल में कहा कि लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर कैमरा (LROC) ने लक्षित लैंडिंग साइट के आसपास की छवियों को कैद किया, मगर लैंडर का सही स्थान का पता नहीं चल पाया, क्योंकि हो सकता है लैंडर कैमरे के क्षेत्र से बाहर हो।
अब बताया जा रहा है कि एलआरओसी टीम 17 सितंबर को ली गई छवियों की तुलना साइट के पिछले वाले के साथ करेगी ताकि यह देखा जा सके कि लैंडर दिखाई दे रहा है या नहीं।
चंद्रमा पर विक्रम लैंडर के ऊपर गुजारे गए ऑर्बिटर से मिली तस्वीरों के परिणाम को विश्लेषण और समीक्षा के बाद ही सार्वजनिक किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 7 सितंबर को चंद्रमा की सतह पर लैंड करने से कुछ मिनट पहले देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -2 के विक्रम लैंडर से संपर्क खो दिया था।
विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सात सितंबर को हार्ड लैंडिंग हुई थी। उस समय वहां सुबह थी। यानी सूरज की रोशनी चांद पर पड़नी शुरू हुई थी।
चांद पर पूरा दिन यानी सूरज की रोशनी वाला समय पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। मतलब 20 या 21 सितंबर को चांद पर रात हो जाएगी। तब तक 14 दिन काम करने का मिशन लेकर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के मिशन का समय पूरा हो जाएगा। ऐसे में विक्रम से संपर्क साधने के लिए सिर्फ गुरुवार का दिन बचा है।
इसरो ने विक्रम के मिलने की धुंधली होती संभावनाओं के बीच बुधवार को उसकी कोशिशों को सराहने और उसके साथ खड़े रहने के लिए देशवासियों का आभार जताया। अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने आधिकारिक टि्वटर हैंडल पर एक ट्वीट के जरिये ‘शुक्रिया’ कहा।