भारत विकास परिषद, हिूदू पर्व महासभा और आर्गेनिक शेयरिंग द्वारा महामंडलेश्वर जूना अखाड़ा के सहयोग से शहर के मंदिरों में रुद्राक्ष के पौधे लगाने का अभियान शुरू किया है। पहले दिन सेक्टर-23 स्थित प्राचीन शिव मंदिर और सेक्टर-36 स्थित गोगा माड़ी मंदिर में विधि-विधान के साथ रुद्राक्ष के पौधे लगाए गए। यह अभियान आने वाले दो महीनों तक जारी रहेगा और शहर के विभिन्न मंदिरों के अलावा ऐसे स्थानों पर लगाया जाएगा जहां पर इसकी देखभाल हो सके। इस मौके पर परिषद के सदस्यों में अजय सिंगला, सतीश भास्कर, सुभाष गोयल, महेश गुप्ता सहित विभिन्न सदस्य मौजूद रहे।

क्या हैं रुद्राक्ष के फायदे
रुद्राक्ष का पौधा और उसके फलों का आध्यात्मिक तौर पर बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है, इसके अलावा रुद्राक्ष का उपयोग अब औषधि के तौर पर भी हो रहा है। आमतौर पर माना जाता कि रुद्राक्ष गले में धारण करने से ह्दय रोग नहीं होता है। इसके अलावा बीपी भी कंट्रोल रहता है और बहुत से रोगों से निजात मिलती है। इसके अलावा औषधि के तौर पर इसका उपयोग शिरोरोग-रुद्राक्ष बीज चूर्ण का प्रयोग मस्तिष्क दौर्बल्य और चिकित्सा के लिए किया जाता है। रुद्राक्ष को जल में घिसकर गले में लगाने से गले को लाभ मिलता है। इसी प्रकार से इसके कई प्रयोग पुरातन काल से चले आ रहे है।
धार्मिक दृष्टि से खास महत्व
रुद्राक्ष का पौधा आमतौर पर बंगाल, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, सहित देश के विभिन्न भागों में पाया जाता है। इसके साथ ही यह अब आय भी बेहतरीन साधन साबित हो रहा है क्योंकि धर्मग्रंथों में इसके बहुत ज्यादा महत्व बताए गए है। धार्मिक आस्था के अनुसार माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत ज्यादा प्रिय था। इसलिए अब एकमुखी, दोमुखी रुद्राक्ष का भी व्यापार भी होता है और उसकी कीमत भी बहुत ज्यादा है।
भारत विकास परिषद के अजय सिंगला ने कहा कि इस पौधे से साकारात्मक ऊर्जा मिलती है जिसके कारण इसे लगाने का फायदा बहुत ज्यादा है। हमारा प्रयास है कि इस साल में करीब दो सौ के करीब रुद्राक्ष के पौधे हम शहर के विभिन्न हिस्सों में लगाएं।
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