क्या आप शौकिया या फिर करियर बनाने के लिए हर दिन क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेलों की प्रैक्टिस करते हैं? तो कई बार भागदौड़ में घुटनों में चोट भी लग जाती होगी। चोट लगने के बाद क्या आप इस पर ध्यान देते हैं?
आपने कई बार क्रिकेट, फुटबॉल आदि खेलने के दौरान खिलाड़ियों को घुटने में चोट लगने (नी इंजरी) के कारण मैदान से बाहर जाते देखा होगा। इस चोट को नजरअंदाज करना कई बार खतरनाक साबित हो सकता है। घुटनों की चोट गंभीर होने से ‘नी रिप्लेसमेंट’ की भी नौबत आ जाती है।
लगातार खेलते रहने से जोड़ों खासतौर से घुटने सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ऐसे में घुटनों, पैरों की मांसपेशियों में दर्द होने लगता है। जोड़ों का समय के साथ क्षतिग्रस्त होना स्वाभाविक बात है। यह कोई बीमारी नहीं है, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ यह समस्या सभी के साथ होती है। लेकिन जो लोग खेल के पेशे से जुड़े हैं, जो मैदान में घंटों प्रैकि्टस करते हैं, जिससे उनके घुटने के जोड़ बहुत जल्दी प्रभावित होते हैं।
दिल्ली के एम्स हॉसि्पटल के प्रोफेसर और नी एवं हिप रिप्लेसमेंट सर्जन डॉ. सी. एस. यादव कहते हैं, ‘अगर आप घुटनों पर दबाव पड़ने वाली गतिविधियों को हर दिन करेंगे, तो घुटनों के जोड़ पर चोट लगने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। हां, इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।’ जो लोग हर दिन प्रैक्टिस करते हैं, वे खेल से जुड़े सुरक्षा उपकरणों को पहनकर खेलें। ये उपकरण अच्छी क्वालिटी के हों।
खेलने के दौरान दर्द महसूस हो, तो बिल्कुल न खेलें। घुटनों पर ज्यादा प्रेशर न पड़े, इसके लिए सही फिटिंग के जूते पहनें। खेलने से पहले वॉर्मअप कसरत करें, ताकि अचानक शरीर के जोड़ों पर दबाव न पड़ें। खेलने के बाद शरीर को कूल डाउन करने वाली कसरत करें। धूम्रपान ने करें। वजन पर नियंत्रण रखें। कैल्शियम युक्त आहार लें।
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