गोरखनाथ मंदिर पर हमला करने वाले अहमद मुर्तजा अब्बासी के विषय में फिर कुछ चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं। एटीएस की पूछताछ में पता चला है कि बीते दो अप्रैल की शाम को वह 17 सौ रुपये खर्च करके वह गोरखपुर से सिद्धार्थनगर के नौगढ़ पहुंचा था। वहां स्टेशन पर उसने रात गुजारी थी और तीन अप्रैल की सुबह वहां से टैक्सी पकड़कर सिद्धार्थनगर के नेपाल सीमा स्थित अलीगढ़वा निकल गया था और पैदल बार्डर क्रास करके नेपाल चला गया था।
टैक्सी पकड़कर लुंबनी पहुंचा
नेपाल में चाकरचौड़ा से वह टैक्सी पकड़कर लुंबनी पहुंचा था और वहां मस्जिद व मदरसों में शरण ढूंढ रहा था, लेकिन वहां उसे सुरक्षित ठिकाना नहीं मिल सका था। इसके चलते वह दिन में ही वहां से लौट आया था। लौटकर वह वहां से अलीगढ़वा पहुंचा और वहां से दांव खरीदा। फिर वहां से 1700 रुपये में आटो बुक करके गोरखपुर आ रहा था, लेकिन आटो वाले ने उसे आधे रास्ते में ही छोड़ दिया था। ऐसे में उसे तीन सौ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़े।
घटना से पूर्व की रात नौगढ़ रेलवे स्टेशन के पास था मुर्तजा
मुर्तजा को एटीएस की भनक दो अप्रैल को ही लग चुकी थी। दो अप्रैल की शाम करीब छह बजे एटीएस के दो कर्मचारी अब्बासी नर्सिंग होम पहुंचे थे। वहां वह सम्मन देने के बहाने मुर्तजा को ढूंढ रहे थे, लेकिन मुर्तजा की उससे मुलाकात नहीं हुई। एटीएस कर्मचारियों ने खुद को अधिवक्ता बताया था, लेकिन उनके पास रिवाल्वर देखकर उसके घर के लोगों को यह आभास हो गया था कि वह अधिवक्ता नहीं, बल्कि कोई और हैं। बाद में मुर्तजा ने फुटेज के माध्यम से दोनों एटीएस कर्मचारियों की फोटो अपने मोबाइल पर ली और वह घर से थोड़ी दूरी पर स्थित मुसाफिर खाने पर पहुंच गया और वहां उनकी फोटो दिखाकर लोगों से उनके विषय में पूछा तो पता चला कि दोनों एटीएस में तैनात हैं।
खतरे का आभास होते ही घर छोड़कर भागा
मुर्तजा को खतरे का आभास हुआ तो शाम करीब साढ़े सात बजे वह घर लौटा और अपना बैग पैक किया। मोबाइल से सिम निकालकर घर पर रख दिया। मोबाइल व लैपटाप से डेटा डिलीट किया और अपनी मां से रुपये मांगे। वहां से वह रोडवेज बस स्टेशन निकल गया। वहां कुछ देर तक बस की प्रतीक्षा की, लेकिन उसे नौगढ़ के लिए कोई बस नहीं मिली।
17 सौ रुपये में गया नौगढ़, दो हजार रुपये में अलीगढ़वा से लौटा था गोरखपुर
ऐसे में उसने 1700 रुपये में सिद्धार्थनगर के नौगढ़ के लिए टैक्सी बुक और रात करीब साढ़े 10 बजे वह नौगढ़ पहुंच गया। वहां उसने स्टेशन के पास में रात गुजारी और सुबह होते ही वहां टैक्सी से अलीगढ़वा चला गया। वहां से वह दूसरे साधन से नेपाल के लुंबिनी गया। उसने एटीएस को बताया है कि वह वहां महामाया मंदिर में शांति के लिए गया था, लेकिन एटीएस को आशंका है कि मुर्तजा ने वहां किसी मस्जिद अथवा मदरसे में शरण लेने की कोशिश की है, लेकिन सख्ती के चलते उसे वहां रुकना ठीक नहीं लगा। ऐसे में वह अपराह्न करीब तीन बजे तक अलीगढ़वा लौट आया।
वहां से वह मुख्य सड़क से ककरहा जाने वाले एक संपर्क मार्ग पर पहुंचा। उस मार्ग पर करीब तीन सौ मीटर की दूरी चलने के बाद उसने एक दुकान दो दांव (धारदार हथियार) खरीदे और 1700 रुपये में गोरखपुर के लिए आटो तय किया। लेकिन आटो वाले ने उसे झांसा देकर बीच रास्ते में ही छोड़ दिया। इससे उसे दूसरे आटो से गोरखपुर आना पड़ा। गोरखपुर पहुंचते ही मुर्तजा ने मंदिर गेट पर पीएसी जवानों पर हमला कर दिया। मुर्तजा ने एटीएस को बताया है कि वह मंदिर गेट को ही मुख्य मंदिर समझ रहा था, लेकिन एटीएस को उसकी बात पर भरोसा नहीं है।
दुकान ने दांव बेचने की बात से इंकार
बाद में एटीएस टीम मुर्तजा को जब वेरीफिकेशन के उस दुकान पर लेकर गई, जहां से उसने दांव खरीदा था तो दुकानकार ने साफ इंकार कर दिया था। दुकानदार ने बताया कि वह तो दांव बेचता ही नहीं और न ही मुर्जजा को जानता है। ऐसे में सवाल उठता है कि मुर्तजा को आखिर उस दुकान की जानकारी कहां से है, जो मुख्य सड़क से करीब तीन सौ मीटर भीतर है।