राजकोट में 25 मई को हुई आग लगने की घटना जैसी त्रासदियों को रोकने के लिए गेमिंग जोन और इस तरह की मनोरंजन-खेल गतिविधियों को विनियमित करने के लिए आदर्श नियम तैयार किए हैं। पीठ ने 25 मई को राजकोट के नाना-मावा इलाके में ‘गेमिंग जोन’ में लगी भीषण आग में चार बच्चों सहित 27 लोगों की मौत के बाद स्वत संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू की थी।
गुजरात सरकार ने शुक्रवार को हाई कोर्ट को बताया कि उसने राजकोट में 25 मई को हुई आग लगने की घटना जैसी त्रासदियों को रोकने के लिए ‘गेमिंग जोन’ और इस तरह की मनोरंजन-खेल गतिविधियों को विनियमित करने के लिए आदर्श नियम तैयार किए हैं।
पुलिस और निगम प्राधिकारों से नियमित लाइसेंस और अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र और भवन उपयोग अनुमति प्राप्त करने के अलावा गेमिंग जोन के मालिकों को राइड सेफ्टी और निरीक्षण समितियों से मंजूरी लेनी होगी।
23 अगस्त को होगी सुनवाई
महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने अदालत को बताया कि शहरों के लिए पुलिस आयुक्त ऐसी समिति गठित करेंगे, जबकि जिला स्तर पर जिलाधिकारी ऐसी समिति गठित करेंगे। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की पीठ ने राज्य सरकार के हलफनामे पर विचार करते हुए मामले की सुनवाई 23 अगस्त के लिए तय की है।
हादसे में 27 लोगों की हुई थी मौत
पीठ ने 25 मई को राजकोट के नाना-मावा इलाके में ‘गेमिंग जोन’ में लगी भीषण आग में चार बच्चों सहित 27 लोगों की मौत के बाद स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका शुरू की थी। जून में सुनवाई के दौरान, पीठ ने राज्य सरकार से इस पर जवाब मांगा कि क्या गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 33 के तहत नियम बनाए गए थे, जो लाइसेंसिंग प्राधिकरण की शक्तियों और कर्तव्यों का प्रावधान करता है।
त्रिवेदी ने पीठ को बताया कि राज्य के गृह विभाग ने लोगों द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल करने के बाद ‘गुजरात एम्युजमेंट राइड’ और ‘गेमिंग जोन’ गतिविधियां सुरक्षा नियम, 2024 नामक आदर्श नियम तैयार किए हैं।
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