गाय आखिर कैसे पहुंचा रही है हमारे पर्यावरण को नुकसान, आपके लिए जानना जरूरी

अपनी तमाम प्रभावकारी खूबियों और धार्मिक मान्यताओं के चलते भारत में गाय को मां का दर्जा हासिल है, लेकिन वैज्ञानिकों को हाल ही में इसकी एक ऐसी खासियत का पता चला है, जिससे ये दुनिया को बचाने वाली माता बन जाएगी। दुनिया की सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वार्मिंग को रोकने में गाय को बहुत कारगर माना जा रहा है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के वैज्ञानिकों ने बताया है कि गाय को चारे में समुद्री शैवाल खिलाया जाए तो उसके द्वारा मीथेन गैस के उत्सर्जन को काफी कम किया जा सकता है। इससे ग्लोबल वार्मिंग से प्रभावी तौर पर निपटा जा सकता है। आपको बता दें कि एक गाय एक दिन में 300 से लेकर 500 लीटर मीथेन गैस निकालती है जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इसकी खा‍सियतों का जिक्र करते हुए एक बार स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा था कि एक गाय अपने जीवनकाल में 4,10,440 मनुष्यों हेतु एक समय का भोजन जुटाती है जबकि उसके मांस से 80 मांसाहारी लोग अपना पेट भर सकते हैं।

मवेशियों की संख्या के आधार पर भारत दुनिया में शीर्ष पर है। यहां करीब 31 करोड़ मवेशी हैं। 23.3 करोड़ और 9.7 करोड़ मवेशियों के साथ ब्राजील और चीन क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। अगर दुनिया के सभी देश अपने-अपने यहां जानवरों को इस चारे को देना शुरू कर दें तो मीथेन उत्सर्जन काफी कम किया जा सकता है। अकेला भारत साल भर में जितना ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करता है उनमें उसके मवेशियों से होने वाले उत्सर्जन की हिस्सेदारी आठवां हिस्सा है।

ग्रीन फीड है प्रभावी

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने बताया कि गाय के मुख्य आहार में समुद्री शैवाल खिलाने पर मीथेन गैस के उत्सर्जन को 58 फीसद तक कम किया जा सकता है। इस शोध में तीन महीने तक गायों को एसपरागोप्सिस नामक खास समुद्री शैवाल का चारा खिलाया गया। इस आहार को ग्रीन फीड नाम दिया गया है।

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