गाजा-इजरायल युद्ध में रोजाना मर रहे एक से अधिक पत्रकार

गाजा-इजरायल युद्ध में रोजाना एक से अधिक पत्रकार मारे जा रहे हैं। पत्रकारों की सुरक्षा करने वाली समिति के अनुसार, गाजा-इजरायल युद्ध मीडिया कर्मियों के लिए सबसे घातक संघर्ष रहा है। समिति ने कहा कि युद्ध शुरू होने के बाद से एक महीने में कम से कम 39 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए हैं।

वहीं, ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने संख्या को थोड़ा अधिक 41 बताया है। लेकिन मृत्यु दर फिर भी प्रति दिन एक से अधिक है। संभावना है कि जब तक आप इस खबर को पढ़ेंगे तब तक और अधिक पत्रकार मारे जा चुके होंगे। गाजा पर इजरायल के हमलों में मारे गए पीड़ितों में ज्यादातर फलिस्तीनी पत्रकार और मीडियाकर्मी हैं, लेकिन उनमें चार इजरायली पत्रकार भी शामिल हैं, जिनकी हमास ने 7 अक्टूबर को अपने शुरुआती सीमा पार हमले में हत्या कर दी थी।

बड़ी संख्या में पत्रकारों को बनाया गया निशाना

7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायल हमले में एक बेरूत-आधारित वीडियो जर्नलिस्ट दक्षिण लेबनान में मारा गया था। इस हमले में छह अन्य पत्रकार भी घायल हो गए थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि गोलाबारी इजरायल की दिशा से आई और स्पष्ट रूप से चिह्नित वाहनों और बॉडी आर्मर में पत्रकारों के एक समूह को निशाना बनाया।

एक पल के लिए रुककर यह याद रखना जरूरी है कि ये सिर्फ आंकड़ें नहीं हैं। प्रत्येक पीड़ित का एक नाम, रिश्तेदार, प्रियजन और एक अपनी कहानी है। समिति के पास उन सभी पत्रकारों की एक गंभीर सूची है, जो गाजा-इजरायल युद्ध में मारे गए हैं। हालांकि, कुछ आंकड़ें ऐसे भी हैं जिसके बारे में समिति के पूर्ण जानकारी नहीं हैं। या तो वह पत्रकार युद्ध में घायल हुए हैं या लापता हैं।

हमले में 10 पत्रकार मारे गए

मृतकों में अंतरराष्ट्रीय समाचार सेवाओं के लिए काम करने वाले फलिस्तीनी स्वतंत्र पत्रकार और अन्य लोग शामिल हैं, जो स्थानीय समाचार आउटलेट्स के लिए काम करते हैं। इनमें कुछ ऐसे पत्रकार भी शामिल हैं, जो अपने घरों पर हवाई हमलों में अपने बच्चों और परिवारों के साथ मारे गए हैं। इजरायली रक्षा बलों का कहना है कि वे पत्रकारों को निशाना नहीं बनाते हैं, लेकिन ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ का कहना है कि समाचार को स्पष्ट रूप से कवर करते समय कम से कम दस लोग मारे गए हैं।

निस्संदेह, एक पत्रकार का जीवन किसी भी अन्य नागरिक से अधिक मूल्यवान नहीं है, और ऐसे भयावह युद्ध में जिसमें पहले ही 10,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि उनमें से कुछ पत्रकार होंगे, लेकिन इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि पत्रकारों को निशाना बनाया गया, उन्हें परेशान किया गया, मारा-पीटा गया और धमकाया गया।

पत्रकारों की सुरक्षा के लिए गठित समिति की सूची अधिकांश घटनाओं के लिए इजरायली अधिकारियों को दोषी ठहराती है। 12 अक्टूबर को इजराइली पुलिस ने तेल अवीव में बीबीसी पत्रकारों के एक समूह पर हमला किया और उन्हें बंदूक की नोक पर रखा। 16 अक्टूबर को इजरायली पत्रकार और स्तंभकार इजरायल फ्रे पिछले दिन उनके घर पर अति-दक्षिणपंथी इजरायलियों की भीड़ द्वारा हमला किए जाने के बाद छिप गए थे।

इजरायली पुलिस ने पत्रकारों को किया गिरफ्तार

भीड़ जाहिर तौर पर गाजा में फलिस्तीनियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए लिखे गए एक कॉलम से नाराज थी। 5 नवंबर को इजरायली पुलिस ने उत्तरी वेस्ट बैंक के नब्लस में 30 वर्षीय स्वतंत्र फलिस्तीनी पत्रकार सोमाया जवाबरा को गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जांच के लिए उनके पति, पत्रकार तारिक अल-सरकाजी के साथ बुलाया गया था। उनके पति को बाद में रिहा कर दिया गया, लेकिन सात महीने की गर्भवती जवाबा अब भी हिरासत में हैं।

इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने इजरायली सरकार से अंतरराष्ट्रीय कानून का सख्ती से पालन करने का आह्वान किया है, जिसके तहत लड़ाकों को पत्रकारों के साथ नागरिक के रूप में व्यवहार करने और उनके जीवन की सुरक्षा के लिए सभी उचित कदम उठाने की आवश्यकता होती है। इजरायली सेना ने कम से कम दो अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों से कहा है कि वह गाजा संकट को कवर करने वाले अपने कर्मचारियों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती है।

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