चीन मसले पर कांग्रेस ने फिर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि भारत की सरजमीं पर चीनी कब्जे का दुस्साहस लगातार बना है.
चीन डेपसांग प्लेंस और पैंगोंग लेक इलाके में न केवल जबरन कब्जा बनाए है, बल्कि चीन के अतिरिक्त सैन्य निर्माण से साफ तौर से खतरे का आभास है.
सुरजेवाला ने कहा कि खेद की बात यह है कि मोदी सरकार व प्रधानमंत्री चीनी दुस्साहस और कब्जे को लेकर केवल मीडिया के माध्यम से भ्रम का जाल पैदा करने में लगे हैं, न कि निर्णायक तौर से यथास्थिति (status quo ante) बनाए रखने का दृढ़ निर्णय लेने के. मोदी सरकार द्वारा फैलाया जा रहा भ्रमजाल न देश सेवा हो सकता और न ही राष्ट्रभक्ति.
चीनी घुसपैठ के बारे भ्रमजाल की इस स्थिति के स्पष्ट तथ्य इस प्रकार हैं, जो मोदी सरकार के विपरीतार्थक बयानों की झूठ को जगजाहिर करते हैं.
1. 19 जून, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में कहा कि – ‘‘न तो हमारी सीमा में कोई घुसा है, न ही कोई घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी दूसरे के कब्जे में है.’’
2. 26 जून, 2020 की शाम को ही चीन में भारत के राजदूत ने भारत की न्यूज एजेंसी को कहा कि भारत उम्मीद करता है कि ‘चीन अपनी जिम्मेदारी समझ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल में चीनी तरफ पीछे हट जाएगा.
3. 17 जून, 2020 को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने लिखित तौर से स्वीकार किया कि चीन ने ‘गलवान घाटी’ में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पार भारत की तरफ निर्माण किया है.’
4. 20 जून व 25 जून, 2020 को विदेश मंत्रालय ने अपने बयानों में स्वीकार किया कि चीन ने मई-जून, 2020 में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की है.
5. 17 और 18 जुलाई, 2020 के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के दौरे के बाद 17 जुलाई, 2020 को भारत-चीन की परस्पर वार्ता पर ट्वीट किया और कहा कि, ‘‘जो कुछ भी अब तक बातचीत की प्रगति हुई है, उससे मामला हल होना चाहिए. कहां तक हल होगा, इसकी गारंटी नहीं दे सकता.’’
सुरजेवाला ने कहा कि सैटेलाइट तस्वीरों से ये साफ है कि चीन अब डेपसांग व दौलत बेग ओल्डी इलाके में निर्माण कर रहा है, जहां उन्होंने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पार कब्जा कर रखा है. यही नहीं, चीन पैट्रोलिंग प्वाईंट 10 से पेट्रोलिंग पॉइंट-13 तक भारतीय क्षेत्र में बाधा पैदा कर रहा है.