कोरोना संकट के बीच देश की इकोनॉमी को लेकर लगातार निगेटिव आंकड़े आ रहे हैं. इस माहौल में एक राहत की खबर मिली है. दरअसल, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है.
रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 29 मई को समाप्त हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.43 अरब डॉलर बढ़ा है. इस बढ़ोतरी के साथ विदेशी मुद्रा भंडार 493.48 अरब डॉलर (37 लाख करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है.
आपको बता दें कि आरबीआई साप्ताहिक आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े पेश करता है. देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक माना जाता है.
इस बढ़ोतरी का मतलब ये हुआ कि सरकारी खजाने में व्यापार की लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की कमी नहीं है. दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सके. यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं. आमतौर पर भंडार डॉलर या यूरो में रखा जाता है.
यह बढ़ोतरी ऐसे वक्त में हुई है, जब देश की इकोनॉमी कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पस्त नजर आ रही है. लेकिन सवाल है कि कोरोना संकट के बाद भी यह बढ़ोतरी क्यों हुई है.
इसे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि मई के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा लॉकडाउन की वजह से ईंधन की डिमांड भी कम रही है.
कहने का मतलब ये हुआ कि कच्चे तेल की सस्ती और कम खरीदारी हुई है. इस वजह से सरकार को कम डॉलर भुगतान करने पड़े हैं. जाहिर सी बात है कि कम डॉलर भुगतान की वजह से बचत हुई है और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हो गया है. बढ़ोतरी का ये सिलसिला बीते कुछ हफ्तों से चल रहा था लेकिन इस बार का इजाफा रिकॉर्ड स्तर पर है.