सात ग्रहों की युतियां शुभ योग का निर्माण कर रही हैं। इससे राजनीतिक और आर्थिक हालात में सुधार आने की संभावनाएं हैं। काशी विद्वत परिषद के मंत्री पं. दीपक मालवीय ने बताया कि 22 सितंबर को शरद संपात और राहु-केतु के राशि परिवर्तन के बाद सात ग्रह शक्तिशाली स्थिति में पहुंच गए हैं।
इस खगोलीय घटना के बाद मंगल, बृहस्पति और शनि अपनी ही राशि में हैं। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र ने बताया कि राहु और केतु बली हो गए यानी अपनी उच्च स्थिति में हैं। इनके अलावा बुध ग्रह अपनी मित्र राशि में है।
इस तरह कहा जा सकता है कि 9 में से 7 ग्रह शक्तिशाली स्थिति में चल रहे हैं। इनका शुभ प्रभाव कुछ राशियों के अलावा देश दुनिया पर भी पड़ेगा। इससे देश के राजनीतिक और आर्थिक हालातों में सुधार होने के योग बन रहे हैं।
मंगल- 11 सितंबर से मेष राशि में होने से वक्री हैं
असर- लोगों में क्रियाशीलता बढ़ेगी। उद्योग के लिए शुभ संकेत है। हालांकि मंगल के प्रभाव से तनाव की स्थिति भी बन सकती है।
सूर्य- 17 सितंबर से कन्या राशि और 22 सितंबर के बाद दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करेंगे।
असर- 22 सितंबर के बाद शरद संपात शुरू हो गया है। दिन छोटे और रातें बड़ी होने लगेंगे। प्रशासन और जनता के बीच मतभेद बढ़ सकते हैं।
बुध- तुला राशि में यानी अपने मित्र ग्रह की राशि में है।
असर- उच्च स्तर में होने के साथ पूर्ण शक्ति के साथ होगा। अभी अर्द्ध प्रभाव में है। बौद्धिक अनुसंधान होंगे। पत्रकारिता प्रभावशाली होगी। अर्थव्यवस्था में सुधार होने के योग हैं।
गुरु- धनु राशि में यानि अपनी ही राशि में है।
असर- गुरु को व्यावहारिक, नीति-रीति के ज्ञाता, ज्ञान का भंडार आदि माना गया है। गुरु की स्थिति शनि के पास होगी। स्वास्थ्य पर असर रहेगा।
शुक्र- कर्क में है। प्रभाव कम होता जा रहा है।
असर- फिलहाल मध्य स्थिति में है। सुख-वैभव का कारक होने से जनजीवन में मध्यम असर रहेगा।
चंद्रमा- 30 सितंबर तक धनु से मीन राशि में जाएगा।
असर- 30 सितंबर तक गुरु और शनि की राशियों में होने से सफेद वस्तुओं के व्यापार में गति आएगी। धार्मिक और सामाजिक काम बढ़ेंगे।
शनि- मकर में है। 27 सितंबर को मार्गी होगा।असर- यह शुभ संकेत है। न्याय और उद्योग में क्रियाशीलता बढ़ेगी, क्योंकि शनि विधि-विधान और सामाजिक व्यवस्था के कारक हैं।
राहु- केतु-राहु वृष राशि में और केतु वृश्चिक राशि में हैं।
असर- सीमाओं से जुड़े विवाद खत्म होने की संभावना है। संचार साधनों का उपयोग बढ़ेगा। संचार साधनों से जुड़े बदलाव भी होने की संभावना है।