इस समय दुनिया भर में फेस एप की धूम मची है. इसका उपयोग कर लोग अपने बुढ़ापे की संभावित तस्वीर देख रहे हैं. सोशल मीडिया पर फेस एप की तस्वीरें अंधाधुंध पोस्ट की जा रही हैं. यह एप किसी भी व्यक्ति की तस्वीर को कृत्रिम तरीक से बुज़ुर्ग चेहरे में तब्दील कर देता है. लेकिन आपको अपने बुढ़ापे की तस्वीर जितनी रोमांचित कर रही है उसके अपने खतरे भी हैं. यह रूसी एप है. जब आप एप को फोटो बदलने के लिए भेजते हैं तो यह फेस एप सर्वर तक जाता है. फेस एप यूजर्स की तस्वीर को चुनकर अपलोड करता है.

इसमें बदलाव कृत्रिम इंटेलिजेंस के जरिए किया जाता है. इसमें सर्वर का इस्तेमाल होता है. इसमें आप फोटो अपलोड भी कर सकते हैं और एप से फोटो क्लिक भी कर सकते हैं. उस एप को केवल आप एक फोटो ही नहीं दे रहे हैं बल्कि बहुत कुछ दे रहे होते हैं. आपकी इस तस्वीर का उस वक्त तो लगता है कि निजी इस्तेमाल हो रहा है लेकिन बाद में इसका सार्वजनिक इस्तेमाल भी किया जा सकता है. आइए जानते है अन्य जानकारी विस्तार से
आपके फोन से सूचनाओं को ये ऐप हासिल कर सकता है और बाद में इन सूचनाओं का विज्ञापन में इस्तेमाल किया जा सकता है. संभव है कि यह एप आपकी आदतों और रुचियों का समझने की कोशिश कर रहा है ताकि विज्ञापन में इस्तेमाल किया जा सके. इसे मार्केटिंग के हथियार के तौर पर भी देखा जा रहा है. कई लोग इस बात की चिंता भी जता रहे हैं कि यह एप आपके फोन की सारी तस्वीरों तक पहुंच सकता है. कई लोगों ने यह भी दावा किया है कि एप खोलते ही इंटरनेट पर सारी तस्वीरें अपलोड होने लगीं.
आईओएस और आईफोन में यह विकल्प आता है कि किन तस्वीरों को हैंडओवर करना चाह रहे हैं और किन तस्वीरों को नहीं. फेस ऐप को लेकर अमरीकी सीनेट में भी चिंता जताई गई है. सीनेट में अल्पसंख्यक नेता चक शुमर ने फेस एप की जांच की मांग की है. ट्विटर पर पोस्ट किए पत्र में शुमर ने लिखा है, ”यह बहुत ही चिंताजनक है. अमरीकी नागरिकों के निजी डाटा विदेशी ताकेतें हासिल कर रही हैं.”
इस मामले मे संभावित चिंताओं को फेस एप ने सिरे से खारिज कर दिया है. यह एप सेंट पीटर्सबर्ग स्थित कंपनी वायरलेस लैब की है. इस कंपनी का कहना है कि लोगों की तस्वीरें स्थायी रूप से स्टोर नहीं की जा रही हैं और न ही पर्सनल डाटा में सेंधमारी की जा रही है. कंपनी का कहना है कि यूजर्स जिन तस्वीरों को चुन रहे हैं उन्हीं की एडिटिंग की जा रही है.
शुमर ने इस ऐप की जांच एफबीआई और फेडरल ट्रेड कमिशन से कराने की मांग की है. शुमर ने अपने पत्र में लिखा है, ”मैं अमरीकी नागरिकों के निजी डाटा की सुरक्षा और उसमें सेंधमारी की आशंका को लेकर चिंतित हूं. कई लोग इस बात से अनजान हैं कि इसके खतरे क्या हैं.” शुमर ने जांच की मांग तब की है जब डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी ने कथित रूप से 2020 के अमरीकी राष्ट्रपति के चुनाव में एप के इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी है.
सुरक्षा अधिकारी बॉब लॉर्ड ने कथित रूप से अपने स्टाफ से कहा है कि निजता पर कितना संकट है इसे लेकर स्थिति बहुत साफ नहीं है लेकिन यह साफ है कि इसे इस्तेमाल नहीं करने का फायदा ही है. कंपनी का कहना है कि अभी उसके आठ करोड़ यूजर्स हैं. 2017 में फेस एप काफी विवाद में आ गया था जब उसके एक फीचर में यूजर्स की नस्ल को एडिट करने की सुविधा थी.
इसकी आलोचना शुरू हुई तो बाद में कंपनी ने माफी मांग ली और उस फीचर को वापस ले लिया था।फेस एप कोई नया नहीं है. ‘एथनिसिटी फिल्टर्स’ को लेकर दो साल पहले यह विवाद में आया था. इसमें एक नस्ल से दूसरे नस्ल में चेहरा बदलने का टूल था. फ्रेंच साइबर सिक्यॉरिटी के एक रिसर्चर का कहना है कि फेस एप केवल वही तस्वीर लेता है जो यूजर्स सबमिट करते हैं.
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