चांद-सितारे वाले हरे झंडे पर प्रतिबन्ध की मांग को लेकर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से दो सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है. यूपी शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने याचिका में कहा है कि इस तरह के झंडे का इस्लाम से कोई संबंध नहीं है. यह पाकिस्तान की पार्टी मुस्लिम लीग का झंडा है. मुस्लिम इलाकों में इसे फहराना गलतफहमी और तनाव का कारण बनता है.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले भी केंद्र सरकार से झंडे को प्रतिबंधित करने वाली याचिका पर अपना जवाब देने को कहा था. न्यायमूर्ति एके सिकरी की अध्यक्षता वाली दो जजों की बेंच ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि केंद्र सरकार इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दे. अदालत ने यूपी शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी की जनहित याचिका को मंजूर कर लिया था. रिजवी ने 17 अप्रैल को यह याचिका दायर की थी.
रिजवी का कहना है कि ये झंडा पाकिस्तान के राष्ट्रीय झंडे से लगभग मिलता जुलता हैं. कुछ मौलवियों ने गलत दलीलें देकर इस झंडे को इस्लाम से जोड़ दिया है, जबकि इनका इस्लाम से कोई वास्ता नहीं है. उन्होंने कहा है कि इस झंडे की वजह से अकसर सांप्रदायिक तनाव फैलता है और दो समुदायों के बीच दूरी बढ़ती है. इसलिए इसे प्रतिबंधित कर देना चाहिए. याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगम्बर मोहम्मद साहब अपने काफिले में सफेद या काले रंग का झंडा इस्तेमाल करते थे.
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