कोरोना वैक्सीनेशन भारत समेत दुनियाभर के देशों में तेजी से चल रहा है और अब इसके सकारात्मक परिणाम भी दिखने लगे हैं। हालांकि, इस वक्त भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर जैसी स्थिति है, लेकिन इस बीच ब्रिटेन से एक अच्छी खबर आई है। ब्रिटेन में कोरोना वायरस से मृत्यु के आंकड़ों में बेहद कमी आई है। पिछले 10 हफ्तों के आंकड़ों को देखें तो 70 साल से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों की मृत्यु में 97 फीसद तक की गिरावट आई है। इस वक्त हर दिन वहां करीब 32 बुजुर्गों की मृत्यु हो रही है। जबकि, मध्य जनवरी में बुजुर्गों की मृत्यु का आंकड़ा एक हजार प्रतिदिन तक पहुंच गया था।
वहीं, टीकाकरण अभियान के चलते 10 में से 9 सेवानिवृत लोगों और कुल 54 फीसद आबादी में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बन चुकी है। ब्रिटेन में अब भी रोज 4 हजार तक संक्रमण के आंकड़े आ रहे हैं, लेकिन मृत्यु 50 तक सिमट गई है।
वैक्सीनेशन के असर को समझें
ब्रिटेन में वैक्सीन अभियान से पहले कोरोना से होने वाली मृत्यु में 80 से ज्यादा उम्र वालों की संख्या दो तिहाई थी, जो अब आधी से कम रह गई थी। वहीं अब जब 50 साल से कम उम्र वालों को वैक्सीन लगनी शुरू हुई है, ऐसे में इस वर्ग में भी मृत्यु 28 फीसद तक कम हो गई है।
वायरस के हर वर्जन पर कारगर है वैक्सीन
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका और सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि वैक्सीन ब्राजील और दक्षिण अफ्रीकी वायरस के वर्जनों से भी बचाने में कारगर है। शोध में पाया गया है कि सफेद रक्त कोशिकाएं यानी टी सेल सभी कोरोना वायरस के वर्जन को पहचान लेती हैं। जर्नल ओपेन फोरम इंफेक्शनस डिजीज में यह शोध प्रकाशित हुआ है।
वहीं, पीपुल्स वैक्सीन अलायंस के एक शोध में दो-तिहाई विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि एक साल के भीतर कोरोना वायरस का नया वैरिएंट वैक्सीन को निष्प्रभावी कर सकता है। इस सर्वे में 77 महामारी विशेषज्ञों से राय ली गई है। इनमें से 66.2 फीसद का मानना है कि एक साल के भीतर वायरस वैक्सीन की क्षमता के पार जाएगा। वहीं, 18.2 फीसद का मानना है कि इसमें केवल 6 महीने लगेंगे। 32.5 फीसद की राय में वैक्सीन 9 महीने में निष्प्रभावी हो सकती है। वहीं 18.2 फीसद का मानना है कि वैक्सीन दो साल तक प्रभावी रहेगी और 7.8 फीसद का मानना है कि वैक्सीन हमेशा कारगर रहेगी।