भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दूसरे सीरो सर्वे में पता चला है कि भारतीय लोग हर्ड इम्युनिटी से काफी दूर हैं। केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने संवाद के दौरान सोशल मीडिया फॉलोअर्स से बातचीत के दौरान ये जानकारी दी।
उन्होंने धार्मिक स्थलों में पूजा अर्चना के दौरान भी मास्क पहनने पर जोर दिया। स्वास्थ्यमंत्री ने ये भी बताया की आईसीएमआर की एक टीम कोरोना के दोबारा होने वाले संक्रमण पर भी अध्ययन कर रही है।
स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि दूसरे सीरो सर्वे के नतीजे जल्द घोषित किए जाएंगे लेकिन शुरुआती जो नतीजे आए हैं उसमें पता चला है कि हर्ड इम्युनिटी से हम काफी दूर हैं। ऐसे में लोगों को कोरोना महामारी प्रबंधन से जुड़े सभी नियमों का पालन करना होगा। मई में हुए पहले सीरो सर्वे में सिर्फ 0.73 फीसदी लोगों में वायरस मिला था।
स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि महामारी में रेमेडेसिविर दवा और प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल संभलकर करना होगा। प्राइवेट अस्पतालों को भी इन थैरेपी के नियमित इस्तेमाल को लेकर सावधान रहना होगा।
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के डॉक्टरों को लगातार इस बारे में सचेत किया जा रहा है। वायरस से फेफड़ों के साथ दूसरे अंगों को नुकसान को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय की समिति और आईसीएमआर अध्ययन कर रहा है।
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को सलाह दी गई है कि वे कोरोना जांच की दर सस्ती करें। महामारी के शुरुआती दौर में किट के संकट के कारण कीमतें अधिक थीं लेकिन अब घरेलू स्तर पर किट का उत्पादन और वितरण हो रहा है ऐसे में सरकार और निजी पैथोलॉजी को जांच की दर कम करनी चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती देने के सवाल पर स्वास्थ्यमंत्री ने कहा कि जन स्वास्थ्य पर जीडीपी का 1.15 फीसदी खर्च होता है। केंद्र सरकार का लक्ष्य 2025 तक इसे बढ़कार 2.5 फीसदी करना है यानी इसमें 345 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि नए एम्स की बजाए देश में पहले से मौजूद स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया जाएगा।
डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि देश में तीन नए ड्रग पार्क और चार मेडिकल डिवाइस पार्क बनाने की तैयारी है। इसका लाभ ये होगा कि इससे घरेलू ही नहीं वैश्विक जरूरतों को भी पूरा किया जाएगा वो भी कम कीमत पर। महामारी के बीच देश में वेंटिलेटर, पीपीई किट, जांच किट और दूसरी मेडिकल डिवाइस का उत्पादन बडे़ पैमाने पर हो रहा है।