कोरोना वायरस के डर से एक ओर जहां हरी सब्जियों का दाम आसमान छूने लगा है, वहीं दूसरी ओर खरीदार न मिलने से चिकन 50 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।
वहीं दूसरे प्रदेशों से आने वाली सब्जियों की आमद कम होने से आढ़ती भी परेशान हैं। रास्ते में गहन चेकिंग होने से मंडियों में सब्जियों की आवक कम होने से दाम बढ़ गए हैं।
कुछ सब्जियां ऐसी हैं जिन्हें लोगों को दाम बढ़ने के बावजूद भी खरीदने को विवश होना पड़ रहा है, क्योंकि बिना सब्जी के खाना खाना उन्हें सही नहीं लगता है।
सब्जियों का दाम अचानक बढ़ने से रसोई महंगाई की शिकार हो चुकी है। इससे गृहणियां विशेष रूप से परेशान हैं। सब्जियों पर महंगाई की मार से छोटे सब्जी दुकानदार सकते में हैं, तो दूसरी ओर चिकन का भाव गिरने से बड़े-बड़े मुर्गी फार्म वाले आर्थिक नुकसान ङोलने को विवश हैं।
कोरोना वायरस की दहशत इतनी ज्यादा है कि बेवजह ही चिकन की सप्लाई कम हो गई है। बड़े स्तर पर यह काम करने वाले स्टॉकिस्ट बताते हैं कि जिले में कई मुर्गी फार्म कोरोना वायरस की आशंका के चलते बंदी के कगार पर चले गए हैं।
इस बारे में स्टॉकिस्ट सत्यनारायण ने बताया कि जब कोरोना की अफवाह नहीं थी तो प्रतिदिन महानगर में 10 से 15 टन चिकन सप्लाई हो रहा था, जिसमें अब 40 फीसद की गिरावट हुई है।
चिकन को लेकर जहां लोग कोरोना होने की आशंका को लेकर शंकित हैं, वहीं दूसरी ओर पोल्ट्री फार्मो में चिकन ज्यादा होने से उत्पादक परेशान हैं। पोर्ल्टी फार्मधारकों का कहना है कि अगर यही हालात रहे तो वे कारोबार नहीं कर पाएंगे।
नाॅर्दन इंडिया की दूसरी सबसे बड़ी सब्जी मंडी लुधियाना में सब्जी की आवक कम होना चिंता का विषय है। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रिशु अरोड़ा ने कहा कि इन दिनों सब्जियों का मौसम है और अभी सब्जियों का दाम बढ़ना परेशानी वाली बात है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का डर एवं प्रभाव मंडी पर भी पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि कोरोना के बारे में अफवाह पर नकेल कसने के लिए सख्ती बरते, ताकि लोगों के दिमाग से दहशत खत्म हो सके।