धूम्रपान करने वाले लोग और फेफड़ा रोगी सचेत हो जाएं। ऐसे लोग कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में जल्द आ सकते हैं। एक नए अध्ययन में पाया गया है कि धूम्रपान या फेफड़ों के रोग क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के चलते इस खतरनाक वायरस का संक्रमण गंभीर हो सकता है।
इसके चलते मौत का खतरा उच्च हो सकता है। सीओपीडी के चलते फेफड़ों में वायु प्रवाह सीमित हो जाता है। नतीजन सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनियाभर में अनुमानित 25 करोड़ से ज्यादा लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं। उन्होंने यह पता लगाने के लिए अध्ययन किया कि कोरोना पीड़ितों पर सीओपीडी रोग का क्या असर पड़ता है।
अध्ययन में कुल 2,473 कोरोना रोगियों पर गौर किया गया। इसमें कोरोना की चपेट में आने वाले सीओपीडी रोगियों में संक्रमण के गंभीर होने खतरा 63 फीसद ज्यादा पाया गया। इन पीड़ितों में मौत का भी जोखिम 60 फीसद अधिक पाया गया।
सामान्य पीड़ितों में कोरोना संक्रमण के गंभीर होने खतरा महज 33 फीसद ही अधिक पाया गया। जबकि सिगरेट से तौबा कर चुके लोगों की तुलना में मौजूदा दौर में धूम्रपान करने वालों में कोरोना के गंभीर होने की आशंका 1.45 गुना ज्यादा पाई गई।
इससे पहले किए गए एक अध्ययन से पता चला था कि सीओपीडी से जूझ रहे लोग अगर धूम्रपान भी करते हैं तो ऐसे में कोरोना का उच्च खतरा हो सकता है।
धूम्रपान करने वाले सीओपीडी रोगियों में एसीई-2 नामक एंजाइम का उच्च स्तर होता है, जो फेफड़ों में कोरोना वायरस के दाखिल होने का रास्ता आसान कर सकता है।