कोरोना के बीच देश में ताला बंदी की शुरुआत : अर्थव्यवस्था को लग सकती है 80 हजार करोड़ की चपत

कोरोना संक्रमण दोबारा बढ़ने के कारण कई राज्यों में यातायात व कारोबार पर प्रतिबंध लगाए जाने से भारतीय अर्थव्यवस्था को हर सप्ताह 9.37 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। ब्रिटिश ब्रोकरेज फर्म बार्कलेज ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में बताया कि स्थानीय लॉकडाउन का गंभीर असर होगा और पहली तिमाही में विकास दर पर 1.40 फीसदी गिर सकती है।

भारत में कोरोना संक्रमण के रोजाना मामले 1.5 लाख से भी ज्यादा आ रहे हैं और संक्रमितों की संख्या अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा पहुंच गई है। सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र और दिल्ली ने कई तरह के प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। देश के दर्जनभर राज्यों में रात्रि कर्फ्यू के साथ कुछ राज्यों में यातायात पर सशर्त रोक लगा दी गई है।

महाराष्ट्र दो सप्ताह के पूर्ण लॉकडाउन पर विचार कर रहा है। देश में संक्रमण के कुल मामलों में 81 फीसदी महज आठ राज्यों से हैं, जो आर्थिक गतिविधियों के रूप में सबसे सक्रिय हैं। पिछले कुछ सप्ताह से जारी आंशिक लॉकडाउन, यातायात प्रतिबंध और रात्रि कर्फ्यू की वजह से अर्थव्यवस्था को हर सप्ताह 1.25 अरब डॉलर (9.37 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान होगा, जो एक हफ्ते पहले 3.5 हजार करोड़ था।

अगर तिमाही आधार पर देखें तो नॉमिनल जीडीपी की विकास दर 1.40 फीसदी गिर सकती है। अर्थव्यवस्था में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 16 फीसदी है और नए यातायात प्रतिबंधों से देश को हर महीने 40 हजार करोड़ का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बार्कलेज इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री राहुल बजोरिया ने कहा कि अगर मौजूदा प्रतिबंधों को मई के अंत तक जारी रखा गया तो अर्थव्यवस्था को करीब 80 हजार करोड़ रुपये की चपत लगेगी। साथ ही 2021-22 में नॉमिनल विकास दर पर 0.34 फीसदी का असर पड़ेगा। हालांकि, यह पहली तिमाही में पड़ने वाले असर की तुलना में काफी कम रहेगा।

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