उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के महिलाओं के कपड़ों पर दिए गए एक बयान पर विवाद बढ़ गया है। सभी दलों की महिलाएं उनके बयान का विरोध कर रही हैं और इसे महिला विरोधी बता रही हैं। शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले को राज्यसभा में भी उठाया। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा है कि कोई लड़की क्या वस्त्र पहनती है, यह उसकी अपनी पसंद पर निर्भर करता है। किसी को भी इन विषयों पर अवांछित टिप्पणी नहीं करनी चाहिए।
रेखा शर्मा ने कहा कि आज की महिलाएं बहुत परिपक्व हैं और वे अपने बारे में कोई भी स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम हैं। आज किसी को भी यह निर्देश देने का अधिकार नहीं है कि कोई महिला क्या पहने या क्या न पहने। इसे लड़कियों की व्यक्तिगत पसंद-नापसंद पर छोड़ दिया जाना चाहिए और इस विषय पर कोई भी गैर जरूरी टिप्पणी करने से बचना चाहिए।
समाजवादी पार्टी की वरिष्ठ नेता जूही सिंह ने कहा कि तीरथ सिंह रावत की महिलाओं के वस्त्रों पर की गई टिप्पणी सुनकर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि उत्तराखंड राज्य अपने खुले विचारों के लिए जाना जाता है। यहां लोग अपने बेटे-बेटियों में भेद नहीं करते। यहां की महिलाएं बहुत खुले विचारों की होती हैं और पुरुषों के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं। इसलिए तीरथ सिंह रावत से इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद नहीं थी जो इस संस्कृति में पलकर बड़े हुए हैं।
उन्होंने कहा कि अगर एक राज्य का मुख्यमंत्री इस तरह की सोच रखता है तो वह अपने शासन में महिलाओं को पुरूषों के बराबर कामकाज में अवसर कैसे देगा। एक मुख्यमंत्री की सोच का असर उसकी राज्य की योजनाओं में भी दिखता है। इसलिए एक मुख्यमंत्री की इस तरह की सोच को कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता। इससे महिलाओं के अवसरों पर चोट पड़ने की संभावना बनती है।
दलित महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रितु चौधरी ने कहा कि आज जब दुनिया महिलाओं के सशक्तीकरण की बात कह रही है, उन्हें बराबरी का अवसर दिए जाने की बात हो रही है, ऐसे में एक राज्य के मुख्यमंत्री से इस तरह के बयान की अपेक्षा नहीं की जा सकती। स्वयं प्रधानमंत्री महिलाओं के सशक्तीकरण की बात करते हैं, बेटी पढ़ाओ-बेटी बढ़ाओ जैसी योजनाएं चलाते हैं। लेकिन उन्हीं की पार्टी के एक मुख्यमंत्री इस तरह का बयान देते हैं, तो इससे भाजपा के महिला सशक्तीकरण के दावे की पोल खुल जाती है।
रितु चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने यहां तक कह दिया कि जो महिलाएं इस तरह की फटी जींस पहनती हैं, वे अपने बच्चों को क्या संस्कार देंगी? लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि जींस पहनने वाली महिलाएं स्वयं को कहीं ज्यादा आत्मविश्वास से भरी और आत्मनिर्भर महसूस करती हैं। इस तरह की महिलाएं अपने बच्चों को उत्पीड़न को सहने की बजाय अपनी आत्मरक्षा का ज्यादा पाठ पढ़ाती हैं। इसलिए मुख्यमंत्री को अपनी सोच सुधारनी चाहिए और पूरे देश की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उच्च स्तर पर बैठे व्यक्ति के द्वारा इस तरह की टिप्पणी से इस तरह की भेदभावपूर्ण सोच रखने वाले विचार के लोगों को समर्थन मिलता है जिससे महिलाओं के लिए मुश्किलें बढ़ती हैं।, इसलिए इस तरह की बयानबाजी से बचना चाहिए।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि वे एक बार हवाई जहाज से आ रहे थे। उनके पास में एक महिला बैठी हुई थीं। उन्होंने देखा कि उन्होंने गम बूट पहन रखा था। जब उन्होंने ऊपर देखा तो उनके घुटनों पर जींस फटी हुई थी। उनके साथ दो बच्चे भी थे। ऐसी महिलाएं अपने बच्चों को क्या संस्कार देंगी। मुख्यमंत्री का यह बयान मीडिया में आते ही तूफान मच गया और उन पर महिला विरोधी होने के आरोप लगने लगे।
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