1982 में एक विज्ञान पर आधारित फिल्म ब्लैड रनर आई थी, जिसमें दिखाया गया था कि कैसे 2019 में लॉस एंजिल्स में कैसे कारें उड़ती हुई दिखाई देंगी। हालांकि यह हकीकत तो नहीं बन सका, लेकिन उड़ने वाली कारों की परिकल्पनाओं का सफऱ बरकरार रहा। स्कॉटिश स्टार्टअप लीजफेचर ने क्रिएटिव स्टूडियो निओमैम को असली जिंदगी से जुड़े पेंटेट स्केच को सामने लाने का खास टास्क सौंपा। ये सभी पेटेंट 100 साल से भी ज्यादा पुराने 1921 से लकर 2016 तक के थे। हम आपको बता रहे हैं डिजाइनर्स की बनाई
हाल ही में एक कंपनी ने अपनी उड़ने वाली कार पाल-वी को अमेरिका के फ्लोरिडा में लॉन्च किया था। यह कार 12 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ सकती है और सड़क पर भी दौड़ सकती है। लेकिन उड़ने वाली कारों का कॉन्सैप्ट नया नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई ऐसे प्रयास हो चुके हैं।
1921 में हेनरी दे स्नूक ने एक डिजाइन तैयार किया, जिसमें प्रोपेलर्स लगे थे, जो कार को हवा में उठा सकते थे। स्नूक ने इसे पेटेंट करवा लिया, इसके आठ साल बाद फोर्ड ने अपनी पहली कार फोर्ड मॉडल टी का उत्पादन शुरू किया, जो कुछ-कुछ स्नूक की बस जैसी दिखती थी।
1939 में ब्रूस एल बेल्स ने लंबी-पतली फ्लाइंग कार डिजाइन की, जो कुछ कुछ मौजूदा कारों जैसी दिखाई देती थी। यह कार दिखने में छोटे जहाज जैसी दिखती थी और नीचे से कार जैसी लगती थी।
1959 में एनारसन एनार ने खास कार डिजाइन की, जिसमें आगे और पीछे की तरफ प्रोपेलर्स लगे थे। वहीं इसमें एडजस्टेबल विंग्स दिए गए थे। निओमैन ने जब इसका डिजाइन बनाया तो यह 60 के दशक की कारों जैसी दिखाई दी।
1996 में जुंग दो की ने ऐसी कार का कॉन्सैप्ट तैयार किया, जिसमें प्लेन के आगे की हिस्से को कार में पीछे लगाया गया था। साथ में प्रोपेलर के साथ विंग्स भी बाहर की तरफ निकले हुए थे।
वहीं 2001 में ब्रेडफोर्ड सोरेनसन ने एक डिजाइन को पेटेंट कराया जिसका डिजाइन ब्लेड रनर जैसा था। इस कार को देख कर ऐसा लगता था कि जैसे किसी कार में प्लेन के हिस्से जोड़ दिए गए हैं।
हाल ही में 2016 में अकाश गिरेंद्र बरोत ने एक कार का कॉन्सैप्ट डिजाइन किया है, जिसमें रोटर्स लगे हैं, जिसमें दो से ज्यादा सीटें लगाई जा सकती हैं, वहीं दिखने में यह किसी सेडान कार जैसी लगती है, जिसमें टायरों के पास रोटर लगे हैं।