कुम्भ मेले के दौरान शाही स्नान की शुभ बेला पर पूरे मेला क्षेत्र में आध्यात्मिक गीत बजेंगे। इस गीत की खासियत होगी इसमें कुम्भ, संत और अखाड़ों के महात्म बताया जाएगा। इसके लिए पर्यटन विभाग तैयारी कर रहा है।
कुम्भ की थीम पर धुन और गीत तैयार करने के लिए इस वक्त देश के बड़े कलाकारों के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों से बात की जा रही है। सभी को बताया जा रहा है कि वे ऐसे गीत ही बनाएं जिसमें भारतीय संस्कृति के दर्शन हो। फिलहाल ऐसे लोगों के सुझावों, गीतों व धुनों को लिया जा रहा है। इसमें से सबसे अच्छी थीम को चुना जाएगा। जिसे हर शाही स्नान के दौरान बजाया जाएगा।
क्या है उद्देश्य
इसका उद्देश्य है कि आने वाले श्रद्धालुओं के साथ ही आसपास के लोग भी कुम्भ से जुड़ें। कुम्भ के विहंगम दृश्य को देखें व इसके महात्म को समझें। इसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार व प्रसार किया जाएगा।
वर्जन
हमारे पास प्रस्ताव आ रहे हैं। हमने ऐसे तमाम लोगों से बात की है। मेले में दर्शन और अध्यात्म का माहौल रहेगा। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों से बात की जा रही है। जिसकी धुन और गीत सबसे अच्छे होंगे उनका चयन किया जाएगा। -डॉ. रीता बहुगुणा जोशी, पर्यटन मंत्री
अध्यक्ष अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि, इस मौके पर कहा, ‘हमारे पास पयर्टन विभाग के लोग आए थे। उन्होंने कुछ गीत और धुन सुनाए। अच्छा प्रयास है। लेकिन उसमें कुछ संशोधन की जरूरत थी। उनके गीत में अखाड़ा, संत और कुम्भ नहीं था। हमने इसमें संशोधन के लिए कहा है।’