सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि इस तरह से किसी कानून पर रोक नहीं लगाई जा सकती है. इसपर अदालत ने कहा कि हम सरकार के रवैये से खफा हैं और हम इस कानून को रोकने की हालत में हैं. अदालत ने कहा कि अब किसान अपनी समस्या कमेटी को ही बताएंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं कह कह हैं कि हम किसी भी कानून को तोड़ने वाले को प्रोटेक्ट करेंगे, कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कानून के हिसाब से कारवाई होनी चाहिए. हम तो बस हिंसा होने से रोकना चाहते हैं.
कोर्ट में AG ने कहा कि किसान 26 जनवरी को राजपथ पर ट्रैक्टर मार्च करेंगे, इसका इरादा रिपब्लिक डे परेड में व्याधान डालना है. किसानों के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि ऐसा नहीं होगा, राजपथ पर कोई ट्रैक्टर नहीं चलेगा.
अदालत में सरकार की ओर से कहा गया कि अदालत सरकार के हाथ बांध रही है, हमें ये भरोसा मिलना चाहिए कि किसान कमेटी के सामने बातचीत करने आएंगे.
किसान संगठन की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि हमारे 400 संगठन हैं, ऐसे में कमेटी के सामने जाना है या नहीं हमें ये फैसला करना होगा. जिसपर अदालत ने कहा कि ऐसा माहौल ना बनाएं कि आप सरकार के पास जाएंगे और कमेटी के पास नहीं. सरकार की ओर से कहा गया है कि किसानों को कमेटी में आने का भरोसा देना चाहिए.
हालांकि, किसान महापंचायत की ओर से कहा गया कि उन्हें दिल्ली नहीं आने दिया जा रहा है. वो कमेटी के सुझाव का स्वागत करते हैं और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण ढंग से ही जारी रखेंगे.
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