केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी आज भारत का पहला सीएनजी ट्रैक्टर लॉन्च करेंगे. दावा किया जा रहा है कि इस ट्रैक्टर से ईंधन की लागत पर सालाना तकरीबन एक लाख रुपये तक की बचत की जा सकती है.
ट्रैक्टर को डीजल से सीएनजी ईंधन वाला बनाया गया है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक सीएनजी में परिवर्तित भारत का पहला डीजल ट्रैक्टर होगा. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी औपचारिक रूप से आज इसे बाजार में पेश करेंगे.
रावमैट टेक्नो सॉल्यूशंस और टॉमासेटो ऐशिल इंडिया की ओर से संयुक्त रूप से विकसित इस ट्रैक्टर से किसानों की लागत कम करने और ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी. आइए 10 प्वाइंट्स में पहले CNG ट्रैक्टर की विशेषताओं को जानते हैं.
1. सीएनजी ट्रैक्टर अधिक सुरक्षित है, क्योंकि सीएनजी टैंक पर कड़ी सील लगाई गई है. इससे इसमें ईंधन भरने के दौरान या ईंधन फैलने की स्थिति में विस्फोट का खतरा कम होता है.
2. सीएनजी ट्रैक्टर का भविष्य है, क्योंकि फिलहाल दुनिया भर में करीब 1.2 करोड़ वाहन पहले से ही प्राकृतिक गैस से संचालित हैं और हर दिन और अधिक कंपनियां और नगर पालिकाएं सीएनजी की तरफ बढ़ रही हैं.
3. डीजल के मुकाबले सीएनजी में कार्बन उत्सर्जन में 70 फीसदी की कमी होती है. इससे किसानों को ईंधन की लागत में भी 50 प्रतिशत तक की बचत होती है.
4.रावमैट टेक्नो सॉल्यूशंस और टॉमासेटो ऐशिल इंडिया की ओर से संयुक्त रूप से विकसित इस ट्रैक्टर से किसानों को उत्पादन लागत कम करने और ग्रामीण भारत में रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी.
5. सीएनजी ट्रैक्टर से किसानों को सालाना एक लाख रुपये से अधिक की बचत होगी, क्योंकि इससे ईंधन की लागत में काफी कमी आएगी. किसानों को अपनी आजीविका में सुधार करने में भी मदद मिलेगी.
6. सीएनजी एक स्वच्छ ईंधन है क्योंकि इसमें कार्बन और अन्य प्रदूषकों की मात्रा सबसे कम है. यह बहुत किफायती है. इसमें सीसा लगभग शून्य के बराबर है.
7. यह ट्रैक्टर कम प्रदूषण फैलाने वाला है जो इंजन की जीवन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. इसके लिए नियमित रखरखाव की कम जरूरत होगी.
8. सीएनजी की कीमतों में पेट्रोल-डीजल के मुकाबल कम उतार-चढ़ाव होते हैं लिहाजा, यह बेहद किफायती साबित होगा. डीजल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की तुलना में सीएनजी वाहनों का औसत माइलेज भी बेहतर होता है.
9. रोजाना अधिक से अधिक कंपनियां सीएनजी को बढ़ावा दे रहीं. पराली का उपयोग बायो-सीएनजी के उत्पादन में किया जा सकता है. लिहाजा किसानों को बायो-सीएनजी उत्पादन इकाइयों को बेचकर पैसा कमाने में मदद करेगा.
10. ट्रायल रिपोर्ट के मुताबिक डीजल से चलने वाले इंजन के मुकाबले रेट्रोफिटेड ट्रैक्टर उससे अधिक क्षमता के होते हैं. साथ ही इससे डीजल की तुलना में कुल कार्बन उत्सर्जन में 70 फीसदी की कमी आई है.