कृषि कानूनों के विरोध में पिछले दो दिन से किसान दिल्ली जाने के लिए निकले हुए हैं, जिससे नेशनल हाईवे 44 पूरी तरह से जाम है। वहीं किसानों का यह आंदोलन अन्य जगह भी शुक्रवार को हुआ तो केजीपी, केएमपी एक्सप्रेस वे समेत अन्य मार्ग भी जाम हो गए। इससे इन सभी जगहों पर करीब तीन हजार ट्रक जाम में फंस गए और उनकी लंबी लाइन लग गई। इससे दिल्ली समेत कई राज्यों में फल, सब्जी व अन्य जरूरी सामान की सप्लाई बाधित हो गई है।
फल व सब्जी के साथ ही दूध भी नेशनल हाईवे 44 से दिल्ली में पहुंचता है और इसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली में पड़ता दिख रहा है। किसान आंदोलन के चलते कश्मीर, हिमाचल व पंजाब से फलों के साथ ही सब्जियां लेकर आने वाले ट्रक नेशनल हाईवे पर आगे नहीं बढ़ सके। नेशनल हाईवे 44 को वीरवार को बंद करने से यूपी व उत्तराखंड से संपर्क भी अन्य राज्यों का टूट गया।
वहीं किसानों का आंदोलन शुक्रवार को ज्यादा बढ़ने से केजीपी व केएमपी पर भी ट्रकों के पहिये थम गए। उससे राजस्थान व अन्य प्रदेशों का संपर्क भी रुक गया। ऐसे में करीब तीन हजार ट्रक नेशनल हाईवे 44, केजीपी, केएमपी व अन्य मार्गों पर खड़े रहे। हिमाचल के मंडी का ट्रक चालक कैलाश कुमार पंजाब के लुधियाना से ट्रक में आलू लेकर निकला था। इस तरह ही पंजाब से ट्रक में सब्जी लेकर ललित राज निकला था।
यह सभी नेशनल हाईवे 44 पर ट्रक लेकर खड़े थे। इस तरह ही केजीपी व केएमपी के गोल चक्कर पर करीब दो किमी लंबा जाम ट्रकों के कारण लगा था। क्योंकि वे उत्तर प्रदेश व हरियाणा किसी भी तरफ नहीं जा रहे थे। इस तरह से किसान आंदोलन के कारण जरूरी सामान की सप्लाई बाधित होती दिख रही है। उधर, कश्मीर से सेब लेकर दिल्ली की आजादपुर मंडी के लिए चले 600 ट्रक आठ दिन बाद भी मंडी नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे में बागान मालिकों से लेकर आढ़तियों तक को परेशानी हो गई है।
किसान आंदोलन के कारण ये 600 ट्रक रास्ते में फंसने से करीब 60 करोड़ रुपये के सेब अब खराब होने लगे हैं। चालकों के अनुसार सेबों से भरे से ट्रक तीन दिन में पंजाब बॉर्डर पार कर सके और अब पांच दिन से हरियाणा में फंसे हुए हैं, जबकि लोडिंग के बाद तीन से चार दिन के अंदर सेब को मंडी पहुंचाना होता है। अब आढ़तियों ने बागान मालिकों को फोन करके सेब लेने से इनकार कर दिया है। ट्रक चालकों के अनुसार एक ट्रक में करीब 16 टन सेब आता है जोकि 10 लाख रुपये का सेब होता है।