कांग्रेस पार्टी ने बुधवार को कर्नाटक में प्रदेश अध्यक्ष का एलान कर दिया है। इस जिम्मेदारी के लिए पार्टी ने डीके शिवकुमार पर भरोसा जताया है। संकटमोचक कहे जाने वाले शिवकुमार प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर दिनेश गुंडुराव की जगह कमान संभालेंगे। वहीं उनके साथ ईश्वर खांद्रे, सतीश जारकीहोली और सलीम अहमद को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
बता दें कि इससे पहले डीके शिवकुमार 2009 में कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए थे। सिर्फ यही नहीं वह सिद्धरमैया की सरकार में ऊर्जा मंत्री भी रहे। जबकि एचडी कुमारस्वामी की सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे।
डीके शिवकुमार ने एक बार ‘चाहे लाखों नारे लगाए जाएं, यह डीके किसी से डरने वाला नहीं है। मैं अकेला आया हूं और अकेला ही जाऊंगा…’ कुछ इस अंदाज में परिचय दिया था। वह संगठन में जितने कार्यकर्ताओं से जुड़े हैं, उतने ही दिल्ली में बैठे शीर्ष नेतृत्व से भी जुड़े हुए हैं।
फंड और फेवर जुटाने के साथ ही उन्हें कांग्रेस की रैलियों को हिट कराने का जिम्मा सौंपा जाता रहा है। हजारों करोड़ की संपत्ति के मालिक 57 वर्षीय शिवकुमार चुनावी प्रबंधन के चाणक्य माने जाते हैं।
पिछले साल नवंबर में कर्नाटक में हुए तीन लोकसभा और दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव में विपक्ष का गढ़ रही वेल्लारी लोकसभा और रामनगर विधानसभा सीट पर कांग्रेस को जीत दिलाकर उन्होंने पार्टी का हौसला मजबूत किया था।
अपने खिलाफ केस दर्ज होने के बाद उन्होंने कहा था कि 2017 में राज्यसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के रिजॉर्ट में गुजरात कांग्रेस के विधायकों को ठहराने में अहम भूमिका निभाने के कारण आयकर ने मेरे यहां छापेमारी की है।
डीके कांग्रेस-जेडीएस सरकार में उथल-पुथल के दौरान भी काफी सक्रिय रहे और बागी विधायकों को मनाने मुंबई तक गए थे। यही वजह है कि उनके राजनीतिक कौशल का लोहा विपक्षी नेता भी मानते हैं।
बता दें कि बीते साल कर्नाटक के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डीके शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार किया था। डीके की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने ईडी कार्यालय के बाहर जमकर हंगामा भी किया था।
इस बीच शिवकुमार ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया था। वहीं कांग्रेस पार्टी भी अपने संकटमोचक डीके के समर्थन में उतर आई थी। ईडी ने शिवकुमार और दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन के कर्मचारी हनुमंथैया सहित कुछ अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था।
यह मामला आयकर विभाग द्वारा शिवकुमार के खिलाफ बंगलूरू की विशेष कोर्ट में दायर आरोप पत्र के आधार पर दर्ज किया गया था। इसमें करोड़ों की टैक्स चोरी और हवाला लेन-देन का आरोप था।