कामदेव को हिंदू धर्मग्रंथों को प्रेम का देवता माना गया है। आदिकाल से भारत में ‘कामदेव’ की पूजा होती आयी है। कामदेव’ बेहद सुंदर और मोहक माने जाते हैं। ‘कामदेव’ की पत्नी का नाम रति है। काम, वासना और रूप के देव ‘कामदेव’ के बारे में लोगों को ज्यादा कुछ मालूम नहीं है लेकिन हिंदू संस्कृति और आध्यात्म में एक बड़ा स्थान रखने वाले इस देव के बारे में हर किसी को जानकारी होनी चाहिए।
श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार ‘कामदेव’ को हिंदू देवी श्री के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का अवतार माना गया है। ‘कामदेव’ का अस्त्र धनुष है क्योंकि धनुष ही एक ऐसा अस्त्र है जिसमें स्थिरता और चंचलता दोनों ही होती है और रूप में भी यही गुण होता है। ‘कामदेव’ का अस्त्र धनुष ‘कामदेव’ का अस्त्र धनुष है क्योंकि धनुष ही एक ऐसा अस्त्र है जिसमें स्थिरता और चंचलता दोनों ही होती है और रूप में भी यही गुण होता है।
‘कामदेव’ के मित्र बसंत को माना गया है इसलिए ‘कामदेव’ का धनुष हमेशा पीला माना गया है। ‘कामदेव’ के पास एक खास तीर ‘कामदेव’ के पास एक खास तीर है, जो तीन कोनों को दर्शाता है, ये तीन कोने तीन लोक हैं, पहला कोना ब्रह्म के आधीन है जो निर्माण का प्रतीक है। दूसरा कोना कर्म का प्रतीक है जो कि मनुष्य को कर्म करने की प्रेरणा देता है। कामदेव के तीर का तीसरा कोना महेश (शिव) के आधीन है, जो मकार या मोक्ष का प्रतीक है।
‘कामदेव’ के धनुष का लक्ष्य ‘कामदेव’ के धनुष का लक्ष्य विपरीत लिंगी होता है। इसी विपरीत लिंगी आकर्षण से बंधकर पूरी सृष्टि संचालित होती है।कामदेव का एक लक्ष्य खुद काम हैं, जिन्हें पुरुष माना गया है, जबकि दूसरा रति हैं, जो स्त्री रूप में जानी जाती हैं। ‘कामदेव’ का वाहन हाथी को ‘कामदेव’ का वाहन माना गया है। वैसे कुछ शास्त्रों में कामदेव को तोते पर बैठे हुए भी बताया गया है लेकिन शास्त्रों के पुजारी इसे सही नहीं मानते।