परिषदीय शिक्षकों की न्यू पेंशन स्कीम पर भी संकट छा गया है। इनका दावा है कि पिछले आठ माह से नई पेंशन स्कीम की धनराशि खातों में ही नहीं डाली गई। इसका निस्तारण नहीं हुआ तो आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। कानपुर में सौ-दो सौ नहीं, बल्कि ऐसे शिक्षकों की संख्या तीन हजार से भी ज्यादा है। नई पेंशन स्कीम (एनपीएस) के तहत शिक्षकों के अतिरिक्त सरकार की ओर से भी परमानेंट रिटायरमेंट एकाउंट नंबर (प्रान) में अंशदान डाला जाता है। बेसिक शिक्षकों के यह खाते अब तक सामान्य ढंग से चल रहे थे पर काफी समय से अब तक प्रान खाते अपडेट नहीं दिखा रहे हैं।

एनपीएस खाते अपडेट नहीं
उप्र बेसिक शिक्षक परिवार एसोसिएशन के संयोजक अनुग्रह त्रिपाठी के मुताबिक खातों ने एनपीएस की धनराशि काटी जा रही है पर प्रान खातों से यह नदारद है। यदि धनराशि प्रान खातों में नहीं होती तो नुकसान उठाना पड़ता है। अन्य जिलों में एनपीएस की धनराशि प्रान में शो हो रही है लेकिन यहां ऐसा नहीं है। इन खातों से यह पता नहीं लगाया जा सकता कि सरकारी अंशदान पिछले आठ माह में कितना मिला। वेतन से कितनी कटौती हुई। शेयर के साथ ब्याज आदि की स्थिति कैसी है।
माध्यमिक अनुदानित विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों की स्थिति पहले से ही खराब है। बजट के अभाव में इन्हें वर्ष 2016 से अब तक की अपडेट धनराशि नहीं मिली है। इसके अतिरिक्त सरकार से 2005 से 2016 तक की धनराशि के लिए जो डिमांड की गई थी वह भी पूरी नहीं हो सकी। अटेवा के मंडल अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि माध्यमिक शिक्षकों के एनपीएस की बेहद खराब स्थिति में है। करीब 70 करोड़ रुपये बजट की दरकार है।
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