कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष चुना गया है। परंपरा के तौर पर संसद की इस समिति के अध्यक्ष का पद विपक्ष के पास रहता है।
इस समिति में लोकसभा और राज्यसभा के 19 दूसरे सदस्य भी चुने गए हैं। इनमें लोकसभा के 15 और राज्यसभा के पांच सदस्य शामिल हैं। एक मई 2020 से समिति का कार्यकाल शुरू हो चुका है, जो 30 अप्रैल 2021 तक रहेगी।
समिति में शामिल हैं ये सदस्य
लोकसभा सांसद
1. टीआर बालू (द्रमुक)
2. सुभाष चंद्र बहेरिया (भाजपा)
3. अधीर रंजन चौधरी (कांग्रेस)
4. सुधीर गुप्ता (भाजपा)
5. दर्शना विक्रम जरदोश (भाजपा)
6. भर्तृहरि मेहताब (बीजद)
7. अजय मिश्रा (भाजपा)
8. जगदंबिका पाल (भाजपा)
9. विष्णु दयाल राम (भाजपा)
10. राहुल रमेश शेवले (शिवसेना)
11. राजीव रंजन सिंह (जदयू)
12. सत्यपाल सिंह (भाजपा)
13. जयंत सिन्हा (भाजपा)
14. बालशौरी वल्लभनेनी (वाईएसआर कांग्रेस)
15. रामकृपाल यादव (भाजपा)
राज्यसभा सांसद
16. राजीव चंद्रशेखर (भाजपा)
17. नरेश गुजराल (शिरोमणि अकाली दल)
18. सीएम रमेश (भाजपा)
19. सुखेंदु शेखर राय (तृणमूल कांग्रेस)
20. भूपेंद्र यादव (भाजपा)
लोक लेखा समिति का कार्य सरकारी खर्चों के खातों की जांच करना होता है। जांच का आधार नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट होती है।
कैग की रिपोर्टों में सिफारिशें होती हैं जो तकनीकी रूप से सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं होती। हालांकि इसे गंभीरता से लिया जाता है और सरकार संसद में कार्रवाई नोट्स भी रखती है।
समिति का कार्यकाल एक साल का होता है। लोकसभा अध्यक्ष इस समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति करते हैं। समिति में अधिकतम 22 सदस्य हो सकते हैं।