भारतीयों में कब्ज को लेकर सबसे अधिक गलतफहमी है। वह मल की मात्रा को देखकर पेट साफ होने न होने का आकलन करते हैं। अगर सुबह फ्रेश (तरोताजा) नहीं हुए तो उनका दिमाग उस ओर लगा रहता है। उसके लिए चाहे गर्म पानी, चाय या फिर रात को चूर्ण लेकर सोना पड़े, उसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पेट साफ करने के लिए रोजाना दवा को सेवन नुकसानदेह हो सकता है। आंतों की बीमारियों के संबंध में स्वरूप नगर के होटल में सेमिनार 'गैस्ट्रोकॉन 2018Ó में डॉक्टरों ने चर्चा कर विचार साझा किए। सप्ताह में तीन बार से कम शौच तो तुरंत कराएं इंडोस्कोपी मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. राजेश पुरी ने बताया कि अधिकतर लोग पेट साफ होने के चक्कर में पड़े रहते हैं। उसके लिए दो, तीन या अधिक बार शौचालय में जाना पड़े तो भी उससे गुरेज नहीं करते हैं। एंटॉसिड, पेट साफ करने वाली दवाओं का लंबे समय तक प्रयोग हानिकारक है। कब्ज की समस्या बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्गों में अलग होती है। अगर सप्ताह में तीन बार से कम शौच हो रहा है तो तुरंत इंडोस्कोपी और कोलनोस्कोपी जांच करानी चाहिए। दिनदहाड़े अचानक ताबड़तोड़ गोलियां चलने से फैल गई दहशत, तीन लोग घायल यह भी पढ़ें इटालियन से बेहतर इंडियन टायलेट, पेट साफ होने में रहती आसानी जानें बुजुर्गों के क्या हैं अधिकार, कैसे कर सकते हैं खुद की मदद यह भी पढ़ें मुंबई के बलदोतिया इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव साइंसेज के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अंकित ने बताया कि इटालियन स्टाइल से बेहतर इंडियन स्टाइल की टायलेट रहती है। इस आसन में पेट साफ होने में आसानी होती है। इंडोस्कोपी से आंत के प्रारंभिक स्टेज के कैंसर का ऑपरेशन हो रहा है। बैरियाट्रिक सर्जरी भी इंडोस्कोपी से होने लगी है। इन बेबस बूढ़ी निगाहों में अब भी है अपनों का इंतजार यह भी पढ़ें समझें टीबी और क्रोन्स में अंतर चेन्नई के मद्रास मेडिकल मिशन के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अशोक चाको के मुताबिक पेट की टीबी और क्रोन्स की बीमारी में अंतर होता डॉक्टरों के लिए प्रारंभिक जांच और लक्षणों को पहचाना जरूरी है। टीबी के मुकाबले क्रोन्स हानिकारक है। इसमें दस्त, खूनी दस्त, पेट में तेज दर्द, थकान, कुपोषण और पेट में सूजन आ जाती है। टीबी में बुखार, वजन घटना, पसीना आना, पेट दर्द लक्षण है। एक बेहतर पहल : अजन्मी कन्याओं का महातर्पण, शहीदों को पिंडदान यह भी पढ़ें इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पर हुई चर्चा इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। यह बढ़ी आंत को प्रभावित करता है। इसमें गैस, दस्त, पेट दर्द, कब्ज की दिक्कत बनी रहती है। डॉ. गौरव चावला, डॉ. समीर मोङ्क्षहद्रा, डॉ. रमित महाजन, डॉ. बीएस रामकृष्णा, डॉ. योगेश बत्रा, डॉ. अंशू श्रीवास्तव आदि ने सेमिनार में व्याख्यान दिए।

कब्ज की शिकायत है तो रोजाना दवा का सेवन हो सकता नुकसानदेह

भारतीयों में कब्ज को लेकर सबसे अधिक गलतफहमी है। वह मल की मात्रा को देखकर पेट साफ होने न होने का आकलन करते हैं। अगर सुबह फ्रेश (तरोताजा) नहीं हुए तो उनका दिमाग उस ओर लगा रहता है। उसके लिए चाहे गर्म पानी, चाय या फिर रात को चूर्ण लेकर सोना पड़े, उसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पेट साफ करने के लिए रोजाना दवा को सेवन नुकसानदेह हो सकता है। आंतों की बीमारियों के संबंध में स्वरूप नगर के होटल में सेमिनार ‘गैस्ट्रोकॉन 2018Ó में डॉक्टरों ने चर्चा कर विचार साझा किए।भारतीयों में कब्ज को लेकर सबसे अधिक गलतफहमी है। वह मल की मात्रा को देखकर पेट साफ होने न होने का आकलन करते हैं। अगर सुबह फ्रेश (तरोताजा) नहीं हुए तो उनका दिमाग उस ओर लगा रहता है। उसके लिए चाहे गर्म पानी, चाय या फिर रात को चूर्ण लेकर सोना पड़े, उसके लिए हमेशा तैयार रहते हैं। पेट साफ करने के लिए रोजाना दवा को सेवन नुकसानदेह हो सकता है। आंतों की बीमारियों के संबंध में स्वरूप नगर के होटल में सेमिनार 'गैस्ट्रोकॉन 2018Ó में डॉक्टरों ने चर्चा कर विचार साझा किए। सप्ताह में तीन बार से कम शौच तो तुरंत कराएं इंडोस्कोपी मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. राजेश पुरी ने बताया कि अधिकतर लोग पेट साफ होने के चक्कर में पड़े रहते हैं। उसके लिए दो, तीन या अधिक बार शौचालय में जाना पड़े तो भी उससे गुरेज नहीं करते हैं। एंटॉसिड, पेट साफ करने वाली दवाओं का लंबे समय तक प्रयोग हानिकारक है। कब्ज की समस्या बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्गों में अलग होती है। अगर सप्ताह में तीन बार से कम शौच हो रहा है तो तुरंत इंडोस्कोपी और कोलनोस्कोपी जांच करानी चाहिए। दिनदहाड़े अचानक ताबड़तोड़ गोलियां चलने से फैल गई दहशत, तीन लोग घायल यह भी पढ़ें इटालियन से बेहतर इंडियन टायलेट, पेट साफ होने में रहती आसानी जानें बुजुर्गों के क्या हैं अधिकार, कैसे कर सकते हैं खुद की मदद यह भी पढ़ें मुंबई के बलदोतिया इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव साइंसेज के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अंकित ने बताया कि इटालियन स्टाइल से बेहतर इंडियन स्टाइल की टायलेट रहती है। इस आसन में पेट साफ होने में आसानी होती है। इंडोस्कोपी से आंत के प्रारंभिक स्टेज के कैंसर का ऑपरेशन हो रहा है। बैरियाट्रिक सर्जरी भी इंडोस्कोपी से होने लगी है। इन बेबस बूढ़ी निगाहों में अब भी है अपनों का इंतजार यह भी पढ़ें समझें टीबी और क्रोन्स में अंतर चेन्नई के मद्रास मेडिकल मिशन के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अशोक चाको के मुताबिक पेट की टीबी और क्रोन्स की बीमारी में अंतर होता डॉक्टरों के लिए प्रारंभिक जांच और लक्षणों को पहचाना जरूरी है। टीबी के मुकाबले क्रोन्स हानिकारक है। इसमें दस्त, खूनी दस्त, पेट में तेज दर्द, थकान, कुपोषण और पेट में सूजन आ जाती है। टीबी में बुखार, वजन घटना, पसीना आना, पेट दर्द लक्षण है। एक बेहतर पहल : अजन्मी कन्याओं का महातर्पण, शहीदों को पिंडदान यह भी पढ़ें इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पर हुई चर्चा इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। यह बढ़ी आंत को प्रभावित करता है। इसमें गैस, दस्त, पेट दर्द, कब्ज की दिक्कत बनी रहती है। डॉ. गौरव चावला, डॉ. समीर मोङ्क्षहद्रा, डॉ. रमित महाजन, डॉ. बीएस रामकृष्णा, डॉ. योगेश बत्रा, डॉ. अंशू श्रीवास्तव आदि ने सेमिनार में व्याख्यान दिए।

सप्ताह में तीन बार से कम शौच तो तुरंत कराएं इंडोस्कोपी

मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. राजेश पुरी ने बताया कि अधिकतर लोग पेट साफ होने के चक्कर में पड़े रहते हैं। उसके लिए दो, तीन या अधिक बार शौचालय में जाना पड़े तो भी उससे गुरेज नहीं करते हैं। एंटॉसिड, पेट साफ करने वाली दवाओं का लंबे समय तक प्रयोग हानिकारक है। कब्ज की समस्या बच्चे, युवा, महिलाएं और बुजुर्गों में अलग होती है। अगर सप्ताह में तीन बार से कम शौच हो रहा है तो तुरंत इंडोस्कोपी और कोलनोस्कोपी जांच करानी चाहिए।

इटालियन से बेहतर इंडियन टायलेट, पेट साफ होने में रहती आसानी

मुंबई के बलदोतिया इंस्टीट्यूट ऑफ डाइजेस्टिव साइंसेज के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट डॉ. अंकित ने बताया कि इटालियन स्टाइल से बेहतर इंडियन स्टाइल की टायलेट रहती है। इस आसन में पेट साफ होने में आसानी होती है। इंडोस्कोपी से आंत के प्रारंभिक स्टेज के कैंसर का ऑपरेशन हो रहा है। बैरियाट्रिक सर्जरी भी इंडोस्कोपी से होने लगी है।

समझें टीबी और क्रोन्स में अंतर

चेन्नई के मद्रास मेडिकल मिशन के गैस्ट्रो डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अशोक चाको के मुताबिक पेट की टीबी और क्रोन्स की बीमारी में अंतर होता डॉक्टरों के लिए प्रारंभिक जांच और लक्षणों को पहचाना जरूरी है। टीबी के मुकाबले क्रोन्स हानिकारक है। इसमें दस्त, खूनी दस्त, पेट में तेज दर्द, थकान, कुपोषण और पेट में सूजन आ जाती है। टीबी में बुखार, वजन घटना, पसीना आना, पेट दर्द लक्षण है।

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पर हुई चर्चा

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। यह बढ़ी आंत को प्रभावित करता है। इसमें गैस, दस्त, पेट दर्द, कब्ज की दिक्कत बनी रहती है। डॉ. गौरव चावला, डॉ. समीर मोङ्क्षहद्रा, डॉ. रमित महाजन, डॉ. बीएस रामकृष्णा, डॉ. योगेश बत्रा, डॉ. अंशू श्रीवास्तव आदि ने सेमिनार में व्याख्यान दिए।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com