उत्तर प्रदेश की सत्ता पर 14 साल के बाद काबिज हुई भाजपा के मंत्री अपनी अलग छवि बनाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं. इसी कोशिश के तहत योगी सरकार के मंत्रियों का एक पसंदीदा स्टाइल है औचक निरीक्षण यानी सरप्राइज इंस्पेक्शन.बुधवार को शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना लखनऊ नगर निगम में फाइल खंगालते हुए नजर आए. एक घंटे के निरीक्षण में मंत्री जी ने करीब आधा दर्जन कर्मचारियों के एक दिन का वेतन काटा और म्यूटेशन की फाइलों को बैठकर पेज-टू-पेज जांचा. साथ ही आला अधिकारियों से नगर निगम के बारे में जवाब तलब किया.
जाहिर है कि नगर निगम के चुनाव सिर पर है. ऐसे में मंत्री जी चाहते हैं कि स्थानीय चुनाव से पहले निगम की छवि भी सुधरे. मंत्री जी का यह दूसरा औचक निरीक्षण है. शहरी विकास का कार्यभार संभालते ही मंत्री सुरेश खन्ना नगर निगम के इंस्पेक्शन पर आए थे और उस वक्त यहां पर फैली गंदगी एवं अव्यवस्था को लेकर उन्होंने आला अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई थी.
वह पिछले दो महीने में नगर निगम की बदली तस्वीर के लिए खुद को श्रेय दे रहे हैं. हालांकि अक्षर लखनऊ नगर निगम अपनी बदइंतजामी, भ्रष्टाचार और कर्मचारियों के ढुलमुल रवैया के लिए ही जाना जाता है. ऐसे में क्या यह बदलाव सिर्फ ऊपरी है या वाकई व्यवस्था में भी परिवर्तन हुआ है? शायद इसके लिए आने वाले महीनों में होने वाले चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा.
औचक निरीक्षण योगी सरकार का स्टाइल
यह पहली बार नहीं है कि योगी सरकार के मंत्री औचक निरीक्षण के लिए सुर्खियों में है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हों या केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा हों या फिर बड़े से बड़े मंत्री, पुलिस थानों, अस्पतालों, विभागों और पार्कों से लेकर निर्माणाधीन प्रोजेक्ट तक का निरीक्षण कर चुके हैं.
भाग खड़े होते हैं आला अधिकारी
योगी सरकार के कुछ ऐसे मंत्री भी हैं, जिनके औचक निरीक्षण का कहर कर्मचारियों और आलाधिकारियों को सताता रहता है. इनमें सरकार के एकमात्र मुस्लिम चेहरे मोहसिन रजा पहले नंबर पर है. अपने गर्म मिजाज के लिए जाने वाले रजा साहब जब निरीक्षण के लिए निकलते हैं, तो उससे पहले ही कर्मचारी और आला अधिकारी भाग खड़े होते हैं.
आला अधिकारियों के पसीने छुड़ा चुके हैं योगी के मंत्री
करीब एक महीने पहले मुख्यमंत्री योगी के आदेश पर राज्यमंत्री सुरेश पासी जब जयप्रकाश इंटरनेशनल सेंटर का निरीक्षण करने गए, तो वहां मौजूद आला अधिकारियों के पसीने छुड़ा दिए. लिफ्ट खराब होने पर सुरेश खुद निरीक्षण करने के लिए बिल्डिंग के 18 मंजिल तक चढ़ गए. नतीजन जांच में यह पाया गया कि बिल्डिंग में काम आधा अधूरा हुआ है, जबकि अधिकारी इससे उलट दावा कर रहे थे.