सीनियर नेशनल महिला रेसलिंग चैंपियनशिप में शनिवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला। रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मलिक हरियाणा की सोनम मलिक से फाइनल के कड़े मुकाबले में 7-4 के अंतर से हार गई। जबकि इससे पूर्व तीन मुकाबलों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा। हारने पर साक्षी की आंखों में आंसू छलक उठे। लड़ामदा में दो दिवसीय सीनियर नेशनल महिला रेसलिंग चैंपियनशिप में देश की शीर्ष खिलाड़ियों ने दांव-पेच आजमाएं।
इसमें सबकी नजर रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली पहलवान साक्षी मलिक पर थी। उन्होंने रेलवे की तरफ से भाग लिया था। 62 किलो भार वर्ग में खेल रही साक्षी ने अपना पहला प्री-क्वार्टर मैच गुजरात की ज्योति भदौरिया के खिलाफ खेला। छह मिनट की अवधि वाले इस मैच में शानदार प्रदर्शन करते हुए ज्योति को हराया (बाई फाउल)। इसके बाद क्वार्टर फाइनल मैच में मध्य प्रदेश की पुष्पा को 4-0 से हराया। सेमीफाइनल में दिल्ली की अनीता को 10-0 के बड़े अंतर से हराया।
फाइनल में उन्हें उलटफेर का सामना करना पड़ा। जिस दाएं हाथ के दम से सोनम ने साक्षी को पटका वही हाथ दो साल पहले लकवाग्रस्त था। 2017 में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने के बाद सोनम को दाएं हाथ में परेशानी हुई। 2018 में स्टेट चैंपियनशिप के दौरान उन्हें हाथ में लकवा मार गया और फिर टूर्नामेंट बीच में ही छोड़ना पड़ा। सोनम छह माह बेड रेस्ट पर थीं। डॉक्टर्स ने भी हार मान ली थी लेकिन सोनम डटी रहीं, पैसों की तंगी की वजह से पिता ने आयुर्वेदिक इलाज कराया अब ठीक होने के बाद उन्होंने इतिहास रच दिया।
स्वर्ण पदक हासिल करने वाली सोनम मलिक अपनी सफलता का श्रेय अपने कोच अजमेर मलिक को देती हैं। सोनम का कहना है कि कोच की दी गई सीख को मैंने दंगल में ध्यान रखा। इसी का परिणाम है कि मैं स्वर्ण पदक जीत सकी। 19 साल पहले अखाड़े में उतरीं सोनम मलिक ने अपने पहलवान पिता राजेंद्र के अधूरे सपने को साकार करने की शपथ ली थी, उसके बाद सोनम ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। सोनम ने वर्ष 2018 में एशियन कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। इसके बाद वर्ष 2019 में एशियाई कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में सोनम उप विजेता रहीं। वर्ष 2019 में ही सोनम ने विश्व कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया।