ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम ने उर्से रजवी के मौके पर बड़ा एलान किया। तंजीम ने देश के मुसलमानों से अपील की है कि वे सत्ताधारी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिल्कुल भी विरोध-प्रदर्शन न करें, ताकि देश की एकता और अखंडता बनी रहे।
इससे अल्पसंख्यक और बहुसंख्यकों के रिश्ते मधुर होंगे। यही देशहित में है। उलमा ने यह भी कहा कि अयोध्या का विवादित ढांचा प्रकरण अदालत में विचाराधीन है। इस पर बयानबाजी नहीं होनी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय का जो भी फैसला होगा, वो हमें मंजूर है।
शनिवार को ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम ने 12 सूत्री मुस्लिम एजेंडा जारी करते हुए ये बातें कही हैं। उलमा ने देश में लव जिहाद के नाम पर उत्पीड़न, कथित गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा पीटकर की जा रहीं हत्याओं पर तत्काल रोक की मांग की है। उलमा ने कहा कि ऐसी घटनाओं से मुसलमान दूसरे शहर में जाने से खौफजदा हैं।
इंटरनेशनल ऑग्रेनाइजेशन फॉर माइग्रेशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए भारत में मौजूद करीब दस लाख रो¨हग्या मुसलमानों को यहीं बसाने की मांग की। तंजीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि आजादी के बाद से मुसलमानों के हालात सुधारने को लेकर गंभीरता से प्रयास नहीं हुए हैं। यह एजेंडा राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। इसके बाद विभिन्न प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को भी सौंपेंगे। ताकि मुसलमानों की तरक्की के लिए कोई रास्ता निकाला जाए।
मुस्लिम एजेंडे की प्रमुख मांगें
-मुसलमानों की शैक्षिक, आर्थिक स्थिति पर रंगनाथ मिश्र, लिब्राहन कमीशन और सच्चर आयोग की रिपोर्ट का हवाला देते हुए मुसलमानों को अनुसूचित जाति-जनजाति में शामिल करने की मांग की। शिक्षा-नौकरी में दस फीसद आरक्षण मांगा है।
-उर्दू भाषा को सम्मान नहीं मिला। इसे रोजगार के लायक बनाया जाए।
-शहरों के नाम बदलने का सिलसिला रोका जाए। इसके नाम पर नफरत न फैलाई जाए। एकता-अखंडता सर्वोपरि है।
-भारत सरकार को पूर्व की तरह इजरायल के बजाय फिलिस्तीन के पक्ष में खड़ा होना चाहिए। इजरायल मुसलमानों की मस्जिदे अक्सा कब्जाना चाहता है।
-मुस्लिम शैक्षिक संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने के लिए संविधान की धारा 1981 में संशोधन किया जाए।
-तलाक, हलाला, मुस्लिम पर्सनल लॉ में हस्तक्षेप कर हुकूमत मुसलमानों को डराना चाहती है। सरकार ऐसा करने से बाज आए। यह मजहबी मामला है।
-प्रधानमंत्री सबका साथ, सबका विकास का वादा निभाएं। ताकि सभी संप्रदायों के साथ देश की तरक्की हो। रोजगार, गरीबी कम करने में सफलता नजर नहीं आ रही है।
बैठक में ये रहे मौजूद
मुफ्ती आफाक हुसैन कादरी (दिल्ली), मौलाना सईद नूरी (मुंबई), मौलाना सखी खां राठौर (जम्मू कश्मीर), खलीलउर रहमान (महाराष्ट्र), मौलाना असलम रजवी (गुजरात), कारी सगीर अहमद रजवी (दिल्ली), मौलाना भोख नौफल नूरानी (केरला), प्रोफेसर हलीम खां (मध्यप्रदेश), मौलाना अकबर अली फारुखी (रायपुर), मौलाना इंकलाब नूरी, नाजिम बेग, मौलाना अब्दुल जलील नियाजी, मुफ्ती बिलाल (रामपुर) आदि मौजूद रहे।