हमारे समाज में शादी के समय मुख मण्डल से अधिक चाल-ढाल को देखता है क्योंकि इससे यह जाना जाता है की लड़की कितनी गुणी और भाग्यवान है। एक ग्रंथ भविष्य पुराण में वर्णित है कि ब्रह्मा जी से जब मनीषीयों ने स्त्रियों के सर्वोत्तम गुण जानने चाहे तो ब्रह्मा जी ने कहा कि महिलाओं की चाल के जरिए उनके चाल-चलन के बारे में जाना जा सकता है।

गाय के समान चलने वाली महिलाएं साक्षात लक्ष्मी का रूप होती हैं। हंस और मस्त हाथी के समान जो महिलाएं चलती हैं वह उत्तम होती हैं। इनके चरण जिस घर में पड़ते हैं वहां देवी लक्ष्मी वास करती हैं।
जमीन पर पांव पटक कर तेज गति से चलने वाली महिलाएं मायके और ससुराल दोनों के लिए दुखदाई होती हैं। उनका स्वयं का जीवन तो कष्टों में व्यतीत होता ही है कुल को भी दुख पंहुचाती हैं।
हिरण जैसी आंखों वाली महिलाएं बहुत सुंदर और उच्च कोटी की होती हैं लेकिन हिरण जैसी चाल वाली महिलाएं कभी आजाद नहीं रह सकती।
पैरों की उंगलियां छोटी और एक-दूसरे से हट कर हों तो ऐसी महिलाओं को जीवन भर आर्थिक अभावों से गुजरना पड़ता है।
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