विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष व नवगठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय ने कहा कि हमारी इच्छा है कि राममंदिर जनता के पैसे से बने। हम विश्वास दिलाते हैं कि जनता के पैसे का सदुपयोग करेंगे।

1993 से आज तक कपड़े के टेंट में विराजमान ठाकुर जी को जितना चढ़ाया उसमें करीब 11 करोड़ बैंक में एफडी के रूप में जमा है। भारत सरकार ने भी मंदिर के लिए एक रुपया दान दिया है सबसे पहले एक रुपये से ट्रस्ट का खाता खुलेगा।
राजसदन में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का खाता खोलने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारी ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय समेत ट्रस्टियों से मिलने पहुंचे। लेकिन पैन नंबर न मिलने से खाता खोलने की प्रक्रिया टाल दी गई। राय ने स्पष्ट किया कि श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र का खाता एसबीआई में खुलेगा।
बैंक के अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की जा रही है कि खाते का क्या स्वरूप हो, भविष्य में कोई तकनीकी अड़चन न आए। उन्होंने इस ओर गौर कराया कि मंदिर निर्माण के लिए लाखों स्थानों से धन आएगा, सारे लोगों से एक्यूरेट स्पेलिंग की अपेक्षा नहीं की जा सकती। ऐसे में समाज के लोगों को कम से कम कष्ट हो, ट्रस्ट के खाते का स्वरूप तय किए जाने में इस बात का पूरा ख्याल रखा जाएगा।
भारतीय स्टेट बैंक के महाप्रबंधक प्रशांत कुमार दास ने बताया कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का खाता शीघ्र ही खुल जाएगा। कुछ कागजात अभी पूरे नहीं हैं। पैन नंबर भी आना बाकी है। जैसे ही विराजमान रामलला परिसर में भव्य मंदिर का निर्माण पूरा होगा, एसबीआई भक्तों के लिए एक नई शाखा परिसर में ही खोलेगी। वहां दान सीधे बैंक में जमा करने की सुविधा होगी।
चंपतराय ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि के संपूर्ण चौरासी कोस का कण-कण भगवान श्रीराम और तपस्वी संतों के पदचिन्हों से पूजित है। चौरासी कोसी परिक्रमा करने वाले श्रद्धालु भक्तों को भगवान की चरण धूल प्राप्त हो रही है। अयोध्या के पवित्र आंदोलन में चौरासी कोस में निवास करने वाले श्रीराम भक्तों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उन्होंने कहा कि 84 कोसी परिक्रमा की सांस्कृतिक सीमा को समाज में स्थापित करना है। परिक्रमा के दौरान 84 कोस के दोनों तरफ जितने गांव हैं उनसे संपर्क किया जाएगा। करीब 300 गांवों में संपर्क अभियान चलाया जाना है। परिक्रमा मार्ग के गांवों में जनसुविधा हो, मार्ग पर सुविधा हो इसके लिए हमारा प्रयास है, सरकार से वार्ता चल रही है। चंपत राय ने ये बातें कारसेवकपुरम में चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग के पड़ाव प्रमुखों की बैठक में कहीं।
उन्होंने कहा भगवान श्रीराम सामाजिक समन्वय के प्रतीक हैं। जो स्वप्न हमारे पूर्वजों ने देखा वह साकार रूप धारण कर चुका है। भगवान श्रीराम ने हम सभी को अपनी कृपा से अभिसिंचित किया है जिसे वर्तमान पीढ़ी पूर्ण कर रही है।
बता दें कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का महासचिव बनने के बाद पहली बार अयोध्या आए विहिप के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने शनिवार को विराजमान रामलला परिसर का दौरा किया। इस दौरान गर्भगृह समेत 70 एकड़ में फैले विशाल भूभाग में भव्य मंदिर निर्माण से लेकर श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं विकसित करने पर रणनीति बनाई।
तय हुआ है कि निर्माण कार्य शुरू होने से पहले विराजमान रामलला के लिए वैकल्पिक गर्भगृह का इंतजाम होगा। इसके लिए मानस भवन के दक्षिण तरफ फाइबर का बुलेट प्रूफ अस्थाई मंदिर बनेगा। यहां भक्तों को नजदीक से दर्शन-पूजन की सुविधा रहेगी। आने-जाने में उन्हें कम चलना पड़ेगा।
शनिवार को ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के नेतृत्व में ट्रस्टी व अयोध्या राजपरिवार के बिमलेंद्र प्रताप मोहन मिश्र, डॉ. अनिल मिश्र सहित ट्रस्ट के पदेन सदस्य जिलाधिकारी अनुज कुमार झा की टीम ने रामलला के दर्शन करने के बाद रामजन्मभूमि परिसर का निरीक्षण किया। टीम ने मंदिर निर्माण शुरू होने से पहले रामलला के लिए वैकल्पिक अस्थायी गर्भगृह निर्माण को लेकर चर्चा की।
जिला प्रशासन ने पहले ही मानस भवन के दक्षिण तरफ बुलेटप्रूफ फाइबर से निर्मित अस्थायी मंदिर में रामलला को विराजमान करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। इसे डीएम अनुज कुमार झा ने मौके पर प्रस्तुत किया। श्रद्धालुओं के रामलला के दर्शन से लेकर प्रवेश व निकासी की रणनीति समझाई।
रामलला परिसर से बाहर आए ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि रामलला का वैकल्पिक गर्भगृह बांस-बल्ली पर टिके तंबू का नहीं होगा। यह गर्भगृह जिस स्थल पर स्थापित किया जाएगा, उस स्थल का चुनाव इस तथ्य को ध्यान में रखकर किया जा रहा है कि यह स्थान निर्माण की गतिविधियों के संक्रमण से मुक्त रहे। साथ ही सुरक्षा संबंधी मानकों को पूरा करने के साथ यात्रियों की सुविधा के अनुरूप भी हो। ताकि उन्हें मौजूदा गर्भगृह के मुकाबले कम दूरी तय करनी पड़े।
ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि निरीक्षण के दौरान काम शुरू होगा, तो वाहन किधर से आएंगे। निर्माण के दौरान रामलला का वैकल्पिक गर्भगृह किस स्थान पर बनाया जाना उचित होगा।
आज दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों को जितना पैदल चलना पड़ता है, वैकल्पिक गर्भगृह में विराजे रामलला के दर्शन के लिए उतना पैदल न चलना पड़े आदि संभावनाओं और परिस्थितियों के बारे में विचार हुआ। चंपत राय ने मंदिर निर्माण के लिए 70 एकड़ के परिसर को पर्याप्त बताया।
कहा, मंदिर तो एक एकड़ में बनेगा और कॉरीडोर दो एकड़ में। शेष क्षेत्र में भक्तों के लिए सुविधाएं विकसित की जाएंगी। भक्तों को कोई असुविधा न हो इसलिए रात में शिलाएं सड़क से रामजन्मभूमि परिसर तक पहुंचाई जाएंगी।
कहा कि इसके पहले परिसर की उबड़-खाबड़ भूमि का समतलीकरण होगा। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र तकनीकि टीम के साथ जल्द ही दौरा कर इस पर रणनीति तय करेंगे।
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