उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर नंवबर 2017 में ऊर्जा के तीनों निगमों के लिए हुई टेक्नीशियन ग्रेड-टू की परीक्षा में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। गोपनीय शिकायत के बाद हुई जांच में यह खुलासा हुआ है कि लिखित परीक्षा होने के बाद उत्तर पुस्तिका की ओएमआर सीट में छेड़छाड़ की गई थी।
इस खुलासे के बाद आयोग ने फर्जीवाड़े में संलिप्त छह चयनित अभ्यर्थियों का परिणाम निरस्त करते हुए उनके विरुद्ध रायपुर व डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया है। एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि मामले की जांच शुरू करते हुए आयोग से परीक्षा से जुड़े सभी दस्तावेज मांगे गए हैं। जिन अभ्यर्थियों पर मुकदमा दर्ज हुआ है, वह सभी हरिद्वार के रहने वाले हैं।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने 12 नवंबर 2017 को ऊर्जा के यूपीसीएल, यूजेवीएनएल व पिटकुल के टेक्नीशियन ग्रेड-टू के 171 पदों के लिए परीक्षा कराई थी। परीक्षा में करीब 46 सौ अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के अगले दिन आयोग की ओर से आंसर की ओएमआर सीट आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई थी। आयोग की ओर से 12 फरवरी 2019 को परिणाम घोषित किया गया।
आयोग के सचिव संतोष बड़ोनी ने बताया कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद आयोग में गुप्त शिकायत मिली कि जिन अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। उनमें से कई ने ओएमआर सीट के साथ छेड़छाड़ की है। शिकायत के बाद आयोग ने गोपनीय जांच शुरू की। कोषागार में जमा मूल ओएमआर सीट निकलवाई गई। पाया गया कि वेबसाइट पर अपलोड छह ओएमआर सीट के अंकों में अंतर था। इसके लिए उत्तर गोलों को कूटरचित किया गया था। इसकी पुष्टि होने के बाद आयोग के अनु सचिव राजन नैथानी की ओर डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
इन अभ्यर्थियों पर दर्ज हुआ मुकदमा
- संजीव कुमार पुत्र हरकेश सिंह निवासी बीएचईएल, रानीपुर हरिद्वार
- अजय कुमार पुत्र अक्षपाल निवासी बहादराबाद, हरिद्वार
- पुनीत कुमार पुत्र सुरेंद्र सिंह निवासी औरंगाबाद, हरिद्वार
- मुकेश कुमार पुत्र रामस्वरूप निवासी अटमलपुर बोगला, बहादराबाद, हरिद्वार
- आशीष चौहान पुत्र कुनवीर पाल सिंह चौहान निवासी बहादराबाद, हरिद्वार
- प्रवीण कौशिक पुत्र रमाकांत निवासी शिवालिक नगर, बीएचईएल रानीपुर, हरिद्वार
कहां हुई ओएमआर सीट में छेड़छाड़
चयन प्रक्रिया के अनुसार परीक्षा होने के बाद सभी ओएमआर सीट परीक्षा केंद्रों से एकत्रित कर देहरादून कोषागार में जमा कर दी गई। इसके बाद मूल्यांकन के लिए उन्हें अलग-अलग स्थानों पर भेजा गया। सवाल उठता है कि ओएमआर सीट में कहां और कब छेड़छाड़ की गई।
दूसरी ओएमआर सीट ने की गड़बड़ी की पुष्टि
उत्तर पुस्तिका में दो ओएमआर सीट होती हैं। इसमें से एक परीक्षक को मूल्यांकन के लिए भेजी गई थी, जबकि दूसरी प्रति को कोषागार में ही सुरक्षित रखा गया था। कोषागार में रखी इसी दूसरी प्रति से मिलान के बाद मूल ओएमआर सीट में गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी।
शिक्षक व डाटा इंट्री ऑपरेटर परीक्षा में भी फर्जीवाड़ा
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की ओर से सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड व कनिष्ठ सहायक/डाटा इंट्री ऑपरेटर की भी परीक्षा में फर्जीवाड़ा सामने आया है। इस परीक्षा का आयोजन छह मई 2018 को ऊधमसिंहनगर में हुआ था। विभागीय जांच में पाया गया कि 22 अभ्यथियों में से कई ने एक ही ई-मेल आइडी का प्रयोग किया। इन सभी के खिलाफ रायपुर थाने में आयोग के अनु सचिव राजन नैथानी की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया है।
राज्य में उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की ओर से सहायक अध्यापक एलटी ग्रेड व कनिष्ठ सहायक/डाटा इंट्री ऑपरेटर की परीक्षा का आयोजन छह मई 2018 को किया गया था। लिखित परीक्षा होने के बाद जब आयोग सभी की ओएमआर सीट की स्कैनिंग कर रहा था, तब पाया गया कि कई अभ्यर्थियों के नाम एक जैसे हैं। ऐसे अभ्यर्थियों के जब मूल आवेदन पत्र को निकाला गया तो उनमें से कई में एक ही ई-मेल आईडी का प्रयोग किया गया था।
ऐसे में यह साफ हो गया कि कुछ अभ्यर्थियों ने अपने नामों पर फर्जी अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठाया। यदि वह सफल हो जाते तो उन्हें सूचना उसी ई-मेल आइडी और पतों पर जाती है। आयोग के सचिव संतोष बड़ोनी ने बताया कि इसका पता चलने के बाद संबंधित अभ्यर्थियों का परिणाम रोक दिया गया। लेकिन यह सार्वजनिक सेवा में आपराधिक कृत्य कर प्रवेश पाने का मामला पाए गया, जिसके बाद में मामले में सभी 22 फर्जी अभ्यर्थियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है।
नाकाम हो गई गिरोह की साजिश
गनीमत रही कि परीक्षा परिणाम जारी करने से पहले ही फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। मगर जिस तरह बेहद बारीकी से फर्जीवाड़ा कर परीक्षा में पास होने का कुचक्र रचा गया, उससे एक बात साफ हो गई है कि इसके पीछे कोई गिरोह शामिल था।
श्वेता चौबे (एसपी सिटी, देहरादून) का कहना है कि आयोग से फर्जीवाड़े में शामिल अभ्यर्थियों की पूरी जानकारी और अन्य दस्तावेज मांगे गए हैं। मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। विवेचना में जो तथ्य सामने आएंगे, उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।