एमपी के 6 आयुर्वेदिक दवाओं पर लगा बैन, स्वास्थ्य विभाग की सख्त कार्रवाई

छह आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री और खरीद पर बैतूल जिले में तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया गया है। आयुर्वेद विभाग द्वारा की गई गुणवत्ता जांच में ये दवाएं मानकों पर खरी नहीं उतरीं। इसे देखते हुए जिला आयुष अधिकारी डॉ योगेश चौकीकर ने सभी औषधि विक्रेताओं को निर्देश जारी किए हैं।

इन दवाओं को किया बैन

जांच में जिन दवाओं को एनएसक्य (नॉट फॉर स्टैंडर्ड क्वालिटी) पाया गया है, उनमें कफ कुमार रस, लक्ष्मी विलास रस (नारदीय), प्रवाल पिष्टी, मुकता शुक्ति, निलोह सिद्ध तथा कामदुधा रस शामिल हैं। इनमें से कुछ दवाएं उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद स्थित दवा निर्माण इकाई से निर्मित हैं, जबकि अन्य मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के विभिन्न निजी आयुर्वेदिक औषधि उत्पादकों ‌द्वारा बनाई गई हैं।

विभाग ने दिए सख्त आदेश

जिला आयुष अधिकारी ने आदेश में स्पष्ट किया है कि संबंधित कंपनियों की बैच संख्या वाली इन दवाओं का तुरंत स्टॉक बंद कर लौटाया जाए। किसी भी स्तर पर इन दवाओं की बिकी पाए जाने पर औषधि अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। सभी मेडिकल स्टोर्स, आयुर्वेद औषधालयों और निजी प्रदाताओं को निर्देशित किया गया है कि वे प्रतिबंधित बैच नंबर वाली दवाएं तुरंत हटाकर इसकी सूचना विभाग को दें। विभाग ने विक्रेताओं से कहा कि वे उपभोक्ताओं को सुरक्षित और मानक गुणवत्ता वाली दवाएं दें और किसी भी संदिग्ध दवा की सूचना तुरंत विभाग को दें।

आदेश की प्रतियां आयुष महाप्रबंधक, आयुर्वेद परीक्षण प्रयोगशाला, जिला प्रशासन तथा संबंधित अधिकारियों को भेजी गई हैं, ताकि जिले में प्रतिबंध के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित किया जा सके। यह प्रतिबंध उपभोक्ताओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है, ताकि कोई भी मरीज निम्नस्तरीय दवाओं के सेवन से स्वास्थ्य जोखिम का शिकार न हो।

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