एक गाय से 56 बच्चे! चौंकने वाली बात तो है, लेकिन सच है। आइवीएफ तकनीक से इंसानों को संतान सुख मिलने की बात नई नहीं है लेकिन देश में पहली बार आइवीएफ द्वारा 56 बछिया-बछड़ों का जन्म होने वाला है। खास बात यह है कि गुजराती नस्ल गिर गाय के बच्चों का पिता ब्राजील का हैै।
दरअसल, गौरी गुजरात की एक विशेष नस्ल की गिर गाय है। गौरी के अंडाशय से निकाले गए ऊसाइटेस (डिंबाणुजन कोशिका) को ब्राजील के मेल काऊ के सीमेन के साथ निषेचन कराकर 56 आइवीएफ भ्रूण विकसित किए गए थे। इन भ्रूणों को 56 गायों में प्रत्यारोपित किया गया है। कैटल आइवीएफ तकनीक को सीखने वाले डॉ. श्याम जावर भारत के पहले वेटनरी डॉक्टर हैं। जो पुणे की जेके बोवाजेनिक्स की एनिमल हसबेंड्री संस्था जेके ट्रस्ट में सीईओ व चीफ साइंटिस्ट के पद पर हैं। लखनऊ आगमन पर दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में उन्होंने इस पर चर्चा की।
खत्म होती अच्छी गायों की नस्ल को बचाना लक्ष्य
डॉ. श्याम जावर ने कहा कि देश में लुप्त हो रहीं अच्छी नस्ल की गायों को बचाना हमारा लक्ष्य है। पुणे स्थित लैब में आइवीएफ से विशेष ब्रीड की गायों के भ्रूण तैयार किए जाते हैं। राजस्थान व पंजाब में साहीवाल, तिरुपति की तीन फीट की ऊंचाई वाली पुंगनूर, केरल की वेचूर आदि गायों की विशेष नस्ल हैं, जो कम होती जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश ने दिखाई दिलचस्पी
डॉ. श्याम ने बताया कि उप्र के प्रिंसिपल सेक्रेट्री बाबूलाल मीणा ने यहां के डॉक्टरों को ट्रेनिंग कराने का आश्वासन दिया है।
दो साल पहले जन्मा पहला आइवीएफ बछड़ा कृष्णा
डॉ. जावर ने बताया कि दो साल पहले आइवीएफ से कृष्णा का जन्म हुआ जो पहला बछड़ा है। इससे पहले गिर गाय राधा के अंडों को सीमेन से फर्टिलाइज करके दूसरी गायों से 14 बच्चों ने जन्म लिया था।
सौ साल तक सुरक्षित रख सकते हैं भ्रूण : इस तकनीक के जरिए माइनस 196 डिग्री सेंटीग्रेट पर रखकर अच्छी नस्ल के भ्रूण को सौ साल तक प्रिजर्व किया जा सकता है। एक प्रेग्नेंसी में करीब 25 से 30 हजार का खर्च आता है। उन्होंने बताया कि 2016 में यूएसए में टेक्सास शहर में चार हफ्ते की आइवीएफ तकनीक की ट्रेनिंग ली थी जिसमें करीब 40 लाख रुपये का खर्च आया था। एक महीने की यही ट्रेनिंग हम अपनी लैब में एक लाख में देंगे।