केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के सिलक्यारा में आंशिक रूप से ध्वस्त सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बचाने के लिए विभिन्न विकल्पों पर चर्चा करने के वास्ते शनिवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की, जिसमें विभिन्न एजेंसी को विशिष्ट जिम्मेदारियां सौंपी गईं। सूत्रों ने यह जानकारी दी। बैठक में तकनीकी सलाह के आधार पर पांच बचाव विकल्पों पर विचार किया गया।
नीरज खैरवाल को बनाया नोडल अधिकारी
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड), ओएनजीसी (तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम), एसजेवीएनएल (सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड), टीएचडीसी और आरवीएनएल को एक-एक जिम्मेदारी दी गई है। बीआरओ और भारतीय सेना की निर्माण शाखा भी बचाव अभियान में सहायता कर रही है।” सूत्रों ने बताया कि एनएचआईडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद को सभी केंद्रीय एजेंसी के साथ समन्वय का प्रभारी बनाया गया है और उन्हें सिलक्यारा में तैनात किया गया है। उत्तराखंड सरकार ने सचिव स्तर के अधिकारी नीरज खैरवाल को समन्वय के लिए नोडल अधिकारी बनाया है।
सरकार ने दिए ये निर्देश
सूत्रों ने कहा कि सभी संबंधित एजेंसियों ने घटनास्थल पर वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया है और सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि बचाव अभियान के लिए हरसंभव प्रयास किया जाए। उन्होंने कहा कि 12 नवंबर को हुई घटना के बाद केंद्र और राज्य ने तुरंत संसाधन जुटाए। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एनएचआईडीसीएल, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल और राज्य सरकार सहित विभिन्न एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। मलबे के बीच एक पाइप बिछाने का निर्णय लिया गया क्योंकि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार यह श्रमिकों को बचाने का सबसे अच्छा और सबसे तेज संभव समाधान था।